सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित मामले में केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, 25 हजार का जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने राजमार्गों पर होने वाली दुर्घटनाओं से संबंधित मामले में जवाबी हलफनामा दायर न करने को लेकर शुक्रवार को केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई और उस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
(फाइल फोटो) |
मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर एवं न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने गैर- सरकारी संगठन ‘सेव लाइफ फाउंडेशन’ की याचिका पर तीन साल तक जवाब न दायर करने को लेकर केंद्र को आड़े हाथों लिया. न्यायालय ने केंद्र से कहा कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सबसे बड़ा याचिकाकर्ता है, लेकिन उसका रवैया मुकदमों के प्रति उदासीन रहा है.
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, आपने तीन साल से जवाब दायर नहीं किया है और आप मुकदमे लंबित होने को लेकर अदालतों को दोषी ठहराते हैं. आपके उदासीन रवैये के कारण हर रोज हजारों लोग जान गंवाते हैं. न्यायालय की यह त्वरित टिप्पणी उस वक्त आई जब केंद्र सरकार की ओर से जवाब के लिए दो सप्ताह और दिये जाने का अनुरोध किया गया.
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि एक साल पहले भी केंद्र ने जवाब के लिए दो माह का अतिरिक्त समय मांगा था, लेकिन एक साल के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है.
एक अन्य मामले की सुनवाई के लिए अदालत कक्ष में मौजूद एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए न्यायालय को आस्त किया कि सरकार एक सप्ताह में जवाब दायर कर देगी. इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.
याचिकाकर्ता की दलील है कि राजमार्गों के किनारे पार्किंग को लेकर कोई दिशानिर्देश नहीं है. राजमार्गों के किनारे वाहन लगाने के कारण रोज सैंकड़ों लोगों की मौत होती है.
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