नमामि गंगे की सफलता के लिए भाजपा सदस्य ने नया कानून बनाने की मांग की
लोकसभा में भाजपा के एक सदस्य ने नमामि गंगे परियोजना को सफल बनाने के लिए संसद के चालू सत्र में एक नया कानून बनाने की मांग की.
बीजेपी सांसद अश्विनी कुमार चौबे (फाइल फोटो) |
शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए भाजपा सदस्य अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ हाल ही में किया गया और इसके लिए फिलहाल 20 हजार करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है जिसमें से शुरूआती दौर में 2,000 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई है.
उन्होंने कहा कि बहुत राज्य सरकारें इसमें काफी कम रूचि ले रही हैं जिससे कार्य में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, साथ ही अनापत्ति प्रमाणपत्र देने में बिहार और उत्तर प्रदेश की सरकारें अपनी कुछ शर्तों के कारण रोड़ा अटका रही हैं जिससे कार्य में अनावश्यक विलंब हो रहा है. इसके साथ ही नगर निकाय के हस्तक्षेप के कारण भी कार्य सुचारू रूप से नहीं चल रहा है. \'\'इस तरह के कार्यों से केंद्र सरकार और हम सभी सांसदों को विरोधियों द्वारा बदनाम करने और भ्रम फैलाने का प्रयास किया जा रहा है.\'\'
चौबे ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों की नीयत ठीक प्रतीत नहीं हो रही है. केंद्र सरकार की उदारता के बावजूद बिहार सरकार और वहां जिला प्रशासन की उदासीनता और असहयोगात्मक रवैया \'नमामि गंगे\' के प्रति स्पष्ट है.
भाजपा सदस्य ने कहा, \'\'वर्तमान परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार नमामि गंगे परियोजना की सफलता हेतु अलग केंद्रीय नीति निर्धारित करके इसे चालू सत्र में एक नया अधिनियम बनाये.\'\'
अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि सरकार नया कानून बनाकर नमामि गंगे पर आगे बढ़े तब समय पर अच्छी तरह से कार्य सम्पन्न हो पायेगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्र का सपना साकार हो पायेगा.
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त जल विषयक सूची को राज्यों से हटाकर केंद्रीय सूची में डालने के संबंध में लोकसभा की प्राक्कलन समिति और अन्य संबंधित समितियों के प्रतिवेदनों पर शीघ गंभीरतापूर्वक चर्चा करके उसे अमलीजामा पहनाने की जरूरत है.
भाजपा सांसद ने कहा कि इस विषय पर केंद्र सरकार की नीति स्पष्ट होनी चाहिए तभी गंगा एचं अन्य नदियों की अविरलता और निर्मलता बरकरार रह पायेगी. उन्होंने जल प्रदूषण रोक एवं प्रतिबंध अधिनियम 1974 में आवश्यकता अनुसार संशोधन करते हुए राज्य सरकार एवं अन्य स्तरों पर भी कड़ाई से इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कारगर कदम उठाने की मांग की.
चौबे ने बिहार के बक्सर, हाजीपुर, सोनपुर, पटना, मोकामा, मुंगेर, सुल्तानगंज, भागलपुर, कहलगांव के अलावा झारखंड के राजमहल और साहिबगंज में गंगा के किनारे विद्युत शवदाह गृह स्थापित करने की मांग की.
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