दोहरे अंकों की मुद्रास्फीति दर विरासत में मिलने के बावजूद कीमतों को नियंत्रण में रखा : जेटली

Last Updated 28 Jul 2016 09:41:27 PM IST

महंगाई को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा मोदी सरकार पर लगाये आरोपों पर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा कि संप्रग सरकार से नीतिगत पंगुता की शिकार अर्थव्यवस्था के बावजूद कीमतों को नियंत्रण में रखा.


वित्त मंत्री अरूण जेटली (फाइल फोटो)

जेटली ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार से नीतिगत पंगुता की शिकार अर्थव्यवस्था और दोहरे अंकों वाली मुद्रास्फीति दर विरासत में मिलने के बावजूद हमनें कीमतों को नियंत्रण में रखा और इस बारे में आरोप, आंकड़ों का विकल्प नहीं हो सकते.

जेटली ने कहा कि इस साल अच्छी बरसात होने से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और कीमतें और नियंत्रण में आयेंगी. दाल की पैदावार 2 करोड़ टन होने के संकेत से इसकी कीमतों में भी कमी आयेगी. 

उन्होंने कहा कि केवल यह कहना कि तारीख बता दें कि कीमत कब कम होगी. यह ठीक नहीं है. हमें वे नीतियां बनानी होंगी जिससे पैदावार बढ़े. हमने ऐसी नीतियां बनाई हैं जिनसे किसान दाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित होंगे ताकि मांग और आपूर्ति की समस्या को दूर किया जा सकेगा और कीमतें कम कम होंगी.

लोकसभा में मूल्यवृद्धि के बारे में नियम 193 के तहत चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए जेटली ने कहा नीतिगत पंगुता की शिकार अर्थव्यवस्था मिलने और वैश्विक मंदी की स्थिति के बाद भी पिछले दो वर्षो में हम तेज गति से आगे बढ़े हैं. दुनिया की तुलना में अच्छा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पूरे दुनिया में मंदी छायी हुई थी, उभरती अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति ठीक नहीं थी, भारत के बारे में नकारात्मक धारणा बनी हुई थी, बड़े बड़े विश्लेषक यह कह रहे थे कि ब्रिक्स में से आई (इंडिया) निकल जायेगा. ऐसे हालात में हमने सत्ता संभाली और इस सब के बावजूद भारत अच्छी वृद्धि दर बनाये रखकर दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है.

वित्त मंत्री ने कहा कि हमें विरासत में दोहरे अंक की मुद्रास्फीति दर मिली थी लेकिन इसके बावजूद हमारे वृहद आर्थिक संकेतक अच्छी स्थिति में हैं. हमारी सरकार बनने के बाद से मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति ऋणात्मक रही है.

जेटली ने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के शासनकाल के अंतिम दो वर्षों में मुद्रास्फीति की दर 10 से 12 प्रतिशत के बीच थी. इसलिए यह समझने की जरूरत है कि आंकड़ों और नारों में अंतर होता है. मंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षो में मानसून खराब रहा और 12 से 14 प्रतिशत तक कम बारिश हुई. ग्रामीण क्षेत्र और कृषि कमजोर हो गये थे, बरसात नहीं होने के परिणामस्वरूप कृषि प्रभावित होने से गांवों में क्रयशक्ति कम हो गई थी.



जेटली ने कहा कि ऐसे में हमने नीतिगत पहले करते हुए गांव, किसान, कृषि के लिए जो प्रावधान किये गए हैं, वे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक की दृष्टि से बड़ा प्रभाव डालने वाले हैं. पूर्व की कांग्रेस नीति संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा कि सिर्फ आरोप लगाने से आंकड़े नहीं बदल जायेंगे. हमारी नीतियां और माध्यम ऐसे होने चाहिए जो जनता के वृहद हित में हों.

दाल की कीमतों में वृद्धि के बारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों के आरोपों पर वित्त मंत्री ने कहा कि दाल की कीमत मांग और आपूर्ति से जुड़ा विषय है. भारत दाल का सबसे बड़ा उत्पादक है, सबसे अधिक दाल की खपत भारत में होती है और दुनिया के देशों से सबसे अधिक दाल हम खरीदते हैं.
   
उन्होंने कहा कि भारत में 2.3 करोड़ टन दाल की जरूरत है और पैदावार 1.7 करोड़ टन रही है. इस तरह से 60 लाख टन कम उत्पादन रहा है. इसकी पूर्ति हम म्यामां, मोजांबिक, तंजानिया जैसे देशों से दाल की खरीद करके कर रहे हैं. हालांकि दुनिया के बाजार में भी दाल की उपलब्धता कम हुई है. कुछ दाल व्यापारियों की जमाखोरी के कारण भी स्थिति खराब हुई और उन पर कार्रवाई की गई.

जेटली ने कहा कि हमने दाल की पैदावार से जुड़े नीतिगत परिवर्तन किये हैं और इस साल जो संकेत आ रहे हैं, उससे दाल की पैदावार दो करोड़ टन रहने की उम्मीद है. केवल यह कहना कि तारीख बता दें कि कीमत कब कम होगी. यह ठीक नहीं है. हमें वे नीतियां बतानी होंगी जिससे पैदावार बढ़े. हमें किसानों को दाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा ताकि मांग और आपूर्ति की समस्या को दूर किया जा सके. 

जेटली ने कहा कि अगर हम आधारभूत ढांचा क्षेत्र और उद्योग में पैसा लगाते हैं तो इसके परिणाम बाद में मिलते हैं लेकिन सिंचाई में पैसा लगाते हैं तो जल्द परिणाम मिलते हैं.

वित्त मंत्री ने कहा कि जब हम सत्ता में आये थे तब राजमार्ग परियोजनाएं ठप पड़ी थीं, कोई बोली लगाने को तैयार नहीं था. हमने सार्वजनिक निवेश बढ़ाया और इस क्षेत्र को बहाल करने का काम किया. राज्यों के हाथ मजबूत बनाने के लिए हमने राज्यों को आवंटन बढ़ाया.

कच्चे तेल के दामों में कमी का फायदा उपभोक्ता तक नहीं पहुंचने की कुछ सदस्यों की आलोचनाओं के जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इससे होने वाली बचत का इस्तेमाल उपभोक्ताओं को देने के साथ विकास के लिहाज से बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में और तेल विपणन कंपनियों का घाटा कम करने में किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में निवेश करने से अधिक रोजगार सृजित होंगे और प्रगति होगी. वित्त मंत्री ने कहा कि इनकी लाभार्थियों में तेल कंपनियां, उपभोक्ता और आधारभूत ढांचे के विकास के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था है.

जेटली ने कहा, \'\'इस लाभ को तीन हिस्सों में बांटा गया है. एक सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को जाता है. ये तेल कंपनियां कच्चे तेल की भविष्य की खरीद करती हैं और वे घाटा उठाती हैं.\'\'

 

 



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