जीएसटी से राज्यों के वित्तीय हित किस प्रकार सुरक्षित रहेंगे यह बतायें: येचुरी

Last Updated 28 Jul 2016 09:30:19 PM IST

वाम दलों सहित पांच राजनीतिक दलों ने गुरुवार को केन्द्र सरकार से कहा है कि जीएसटी विधेयक लाने से पहले वह राज्यों को आश्वस्त करे कि उनकी वित्तीय जरूरतों का ध्यान रखा जायेगा.


मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)

माना जा रहा है कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक के अमल में आने के बाद वित्तीय संसाधन जुटाने के राज्यों के अधिकार काफी सीमित हो जायेंगे.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी जिसमें केन्द्र सरकार से इस आश्वासन की मांग की गई. इस बैठक में मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीजू जनता दल के नेता उपस्थित थे.

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक संसाधनों के मामले में राज्यों को पंगु बना देगा और आखिर में राज्यों को केन्द्र के समक्ष हाथ फैलाने पड़ेंगे. इससे राज्य पूरी तरह से केन्द्र की दया पर निर्भर हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक पारित होने पर राज्यों को बिक्री कर, अधिभार और उपकर लगाने जैसे संसाधन जुटाने के अपने अधिकार से हाथ धोना पड़ेगा.

येचुरी ने कहा, ''इस विधेयक के आने के साथ ही राज्य राजस्व जुटाने के अपने एकमात्र अधिकार से भी हाथ धो बैठेंगे.'' इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्य आपात स्थिति में भी कोई उपकर आदि नहीं लगा पायेंगे. वित्त मंत्री को बैठक में राज्यों ने अपनी इस चिंता से अवगत कराया.

येचुरी ने कहा, ''जीएसटी विधेयक केवल कर लगाने से जुड़ा है. इसमें केन्द्र-राज्य संबंधों के बारे में कुछ नहीं है. इसलिये विधेयक से बाहर एक प्रस्ताव आना चाहिये जिसमें सरकार को राज्यों को आश्वासन देना चाहिये.'' उन्होंने कहा, ''हमे देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे का किस प्रकार समधान करती है.''

बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि 'हमें केवल सरकार और कांग्रेस के बीच हुये विचार विमर्श के बारे में सूचित किया गया. इसमें चर्चा की कोई गुंजाइश नहीं थी.''

येचुरी ने कहा कि लिखित में अब तक कुछ भी सामने नहीं है कि आखिर संशोधित विधेयक में क्या कुछ कहा गया है.

मार्क्‍सवादी नेता ने नरेन्द्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुये कहा कि यह सरकार संसद में पार्टियों की संख्याबल के मुताबिक जीएसटी विधेयक पर चर्चा कर रही है. उन्होंने कहा, ''इस लिहाज से हमारी सीटों की संख्या को देखते हुये हम ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं रह गये हैं. यह मामला अब भाजपा और कांग्रेस के बीच का बनकर रह गया है.''

जेटली द्वारा जीएसटी विधेयक राज्यसभा में पेश किये जाने के बारे में कोई संकेत दिये जाने के बारे में पूछे जाने पर येचुरी ने कहा, ''कोई संकेत नहीं है. यह सब कुछ इस पर निर्भर करेगा कि भाजपा और कांग्रेस के बीच क्या कुछ चल रहा है.''



येचुरी ने कहा कि जेटली की राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक हुई जिसमें प्रस्ताव पास हुआ ''जिसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया. हमें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, हमने मंत्री से कहा है कि हमें इसकी प्रति उपलब्ध कराई जाये. हम जानना चाहते हैं कि राज्यों ने क्या कहा है.''

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सारदा घोटाले के पीड़ितों को मदद पहुंचाने के लिये उपकर लगाये जाने के मुद्दे पर येचुरी ने कहा, ''हम इस प्रकार के उपकर के विरोध में हैं क्योंकि लोगों पर कर लगाये जाने के बजाय ऐसे मामलों में घोटाले के दोषियों पर कर लगना चाहिये. राज्य सरकार को इस तरह का उपकर लगाने का कोई अधिकार नहीं है.''

सीपीएम नेता ने अपनी पार्टी की इस मांग को दोहराया कि सरकार को जीएसटी मुद्दे पर आमसहमति बनाने के लिये सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिये. उन्होंने कहा कि अहम् मुद्दों पर चर्चा के लिये सर्वदलीय बैठक बुलाये जाने की ससंदीय परंपरा रही है. ''मोदी सरकार ने इस तरह की परंपरा को पूरी तरह छोड़ दिया है.''

 

 



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