मुसलमानों को गौवंश की रक्षा में अपना सकारात्मक योगदान देना चाहिए : दरगाह दीवान

Last Updated 28 Jul 2016 04:58:01 PM IST

सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादानशीन अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि मुसलमानों को गौवंश की रक्षा में अपना सकारात्मक योगदान देना चाहिए.


अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान (फाइल फोटो)

खान ने कहा कि गाय अतीत काल से हिंदुओं की आस्था का प्रतीक रही है, इसलिये मुसलमानों को गौवंश की रक्षा में अपना सकारात्मक योगदान देकर मिसाल कायम करनी चाहिये. उन्होंने कहा कि गौमांस की आड़ में देश का माहौल सांप्रदायिक करने वालों को एहतियात बरतना चाहिये जिससे दोनों सम्प्रदायों के बीच विश्वास की भावना कायम हो.
   
दरगाह दीवान ने गुरुवार को जारी बयान में इस बात पर चिंता जाहिर की कि कुछ शरारती तत्व गौमांस के मुद्दे पर देश का माहौल बिगाड़कर देश को \'गृहयुद्ध\' की तरफ धकेल रहे हैं और ऐसा नहीं होना चाहिये.

उन्होंने कहा कि इस तरह के मुद्दे देश में सदियों से आपसी मेलजोल से रह रहे दो संप्रदायों के बीच खाई के रूप में अपनी जड़ें जमा रहे हैं. अगर हिंदू मुसलमान से खौफ खाएगा और मुसलमान हिंदू से डरेगा तो देश सिर्फ और सिर्फ विनाश की ओर जाएगा.

खान ने कहा कि विभाजन के काल में गाय को सांप्रदायिकता से जोड़कर देखा गया और गाय को लेकर सांप्रदायिक धुवीकरण कराने की कोशिश मुस्लिम लीग ने की थी, इसलिए दंगा कराने के लिए गौमांस को मंदिरों में फेंकना, गाय की हत्या करना, यह एक प्रवृत्ति थी, लेकिन कुछ संगठन स्वतंत्र भारत में मुस्लिम लीग की विचारधारा और मिशन को आगे बढ़ाते हुऐ गौहत्या और गौमांस के मामले को सांप्रदायिक बनाते हुए हिंदू-मुस्लिमों के बीच विवाद का रंग देने की कोशिश में लगे हैं.
   
उन्होंने कहा कि गाय हिंदुओं की आस्था का प्रतीक रही है, लेकिन आज गौमांस का यह मुद्दा धर्म का एक नया हथियार बन चुका है जिससे विश्व में भारत की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. 

दरगाह दीवान ने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब ने भी अपने उपदेशों में गौमांस के सेवन का सख्ती से मना किया है और गाय के दूध को इंसान के लिये बहु उपयोगी बताया. पैगम्बर के इन्हीं उपदेशों के अनुसरण में चिश्तियों, सूफियों और धर्मगुरुओं द्वारा गौ मांस का सेवन किए जाने का इतिहास में कोई प्रमाण नहीं मिलता है.



उन्होंने कहा कि यही कारण है कि बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी में अपने पुत्रों से कहा कि हिंदुओं की भावनाओं की इज्जत करनी चाहिए. इसीलिए मुगल साम्राज्य में कहीं भी न तो गाय की कुरबानी दी जाए और न ही गायों को मारा जाए. यदि कोई मुगल राजा इसका उलंघन करेगा, तो उसी दिन से हिंदुस्तान के लोग मुगलों का परित्याग कर देंगे. इसीलिए अकबर, जहाँगीर, अहमद शाह जैसे अनेक मुगल राजाओं ने अपनी सल्तनत में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाया हुआ था.
   
दरगाह दीवान ने गौमांस पर देश के मौजूदा माहौल पर कहा कि जिस तरह धर्मांतरण और गौमांस जैसे मुद्दों को उछाला गया और उसे तूल देकर समाज का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई, वह देश के लिये खतरनाक है.

उन्होंने कहा कि देश का कानून किसी को यह इजाजत नहीं देता कि कोई किसी धर्म के अनुयायियों के खिलाफ कानून अपने हाथ में लेकर सीधे तौर पर कोई कार्रवाई करे. अगर कोई व्यक्ति कोई अनैतिक कार्य करता है तो देश के कानून में इसकी सजा के पर्याप्त प्रावधान हैं.

दरगाह दीवान ने कहा कि भारत दुनिया के लिये गंगा-जमनी तहजीब का प्रतीक रहा है और धर्मनिरपेक्षता के माहौल को बिगाड़ने के प्रयास पर विराम लगाए जाने की जरूरत है.

 

 



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