कांग्रेस का लगाया आरोप, कहा- वाड्रा को फंसाने के लिए खट्टर सरकार ने ढींगरा को दी 'रिश्वत'
कांग्रेस ने हरियाणा सरकार पर रॉबर्ट वाड्रा के गुड़गांव जमीन केस की जांच कर रहे जस्टिस एसएन ढींगरा पर \'रिश्वत\' लेने का सनसनीखेज आरोप लगाया है.
(फाइल फोटो) |
काग्रेंस प्रवक्ता आरएस सुरजेवाला ने कहा कि मनोहर लाल खट्टर सरकार ने मनमाफिक रिपोर्ट तैयार करवाने के लिए रिटायर्ड जस्टिस ढींगरा की ट्रस्ट को फायदा पहुंचाने का काम किया है.
सुरजेवाला ने कहा है कि जस्टिस ढींगरा हरियाणा सरकार के एहसानों तले दबी है. ऐसे में एक आदमी निष्पक्ष होकर कैसे काम कर सकता है? इसकी जांच होनी चाहिए कि कैसे सरकार ने उन्हें उपहार स्वरूप जमीन भेंट की. जस्टिस ढींगरा ने अपने पद से समझौता किया है और उन्हें इस्तीफा देना चाहिए.
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया था कि ढींगरा ने हरियाणा सरकार से इस बाबत इनायत हासिल की है कि गुडगांव में एक व्यक्ति ने एक ट्रस्ट द्वारा स्कूल के निर्माण के लिए उन्हें जमीन दी है.
इन आरोपों पर ढींगरा ने कहा, ‘‘क्या मैंने खुद फायदा उठाया?\' ढींगरा ने कहा कि गुडगांव जिले का एक ग्रामीण अपनी मां के नाम पर स्कूल चलाना चाहता था लेकिन उसके पास धन नहीं था और स्कूल की इमारत बनाने और चलाने की क्षमता नहीं रखता था.
उन्होंने कहा, ‘‘वह गुडगांव में हमारे (ट्रस्ट के) पास आया और कहा कि कृपया हमारी मदद कीजिए. हमने (ट्रस्ट ने) उससे कहा कि वह किसी और की जमीन पर काम नहीं करते. आप इसे अपनी मां के नाम पर चलाइए, लेकिन हम स्कूल तभी चला सकते हैं जब ट्रस्ट को जमीन उपहार में दी जाए.\'
वहीं , बीजेपी सांसद कीरिट सोमैया ने जस्टिस ढींगरा का बचाव करते हुए कहा है कि वे अच्छा काम कर रहे हैं, बहुत सी चीजें सामने आएंगी. हरियाणा सरकार उन्हें और समय देने पर विचार कर सकती है. ढींगरा कमेटी के कारण वाड्रा की कई गुप्त डील्स सामने रही है, मुझे लगता है कि उन्हें और समय दिया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि गुडगांव में रॉबर्ट वड्रा की कंपनी समेत कुछ कंपनियों को जमीन के लाइसेंस दिये जाने के मामले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति एस एन ढींगरा आयोग ने गुरुवार को रिपोर्ट जमा करने के लिए और समय मांगा है ताकि एक व्यक्ति से मिले उन नये दस्तावेजों को पढा जा सके जो लाइसेंस से लाभ पाने वालों के बेनामी लेनदेन के कागज बताये गये हैं.
न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट के साथ तैयार हैं लेकिन एक व्यक्ति से मिले ताजा दस्तावेजों के मद्देनजर उन्हें इसे लंबित करना होगा.
ढींगरा ने कहा कि कि मैं रिपोर्ट हरियाणा के मुख्यमंत्री को जमा करने वाला था लेकिन कोई आया और मुझे (गुडगांव में) कुछ दस्तावेज सौंपकर कहा कि ये कागजात लाइसेंस दिये जाने से लाभ हासिल करने वालों के बेनामी लेनदेन के हैं.
उन्होंने कहा कि मैंने इन दस्तावेजों को देखना शुरू किया. कुछ दस्तावेजों को देखने के बाद मैंने पाया कि इसके थोडे अध्ययन की और पुन: जांच की जरुरत होगी. मैंने राज्य सरकार को संदेश भेजा कि अगर आप मुझे कार्यकाल में विस्तार देते हैं तो मैं दस्तावेजों का अध्ययन करंगा, उन्हें अपनी रिपोर्ट का हिस्सा बनाऊंगा, अन्यथा मैं शुक्रवार को आकर रिपोर्ट दे दूंगा.
मनोहर लाल खट्टर सरकार को गुरुवार को अपने पत्र में न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा कि वह रिपोर्ट जमा करने के लिए चंडीगढ जाने वाले थे तभी उन्हें एक व्यक्ति से कागजात मिले. दस्तावेजों को देखने के बाद ढींगरा ने पत्र में लिखा कि उनका मानना है कि इन दस्तावेजों का विस्तार से अध्ययन करने की जरुरत है और इसलिए थोडा समय और लगेगा.
ढींगरा ने यह भी कहा कि पिछले साल मई में आयोग के गठन के बाद से गुडगांव में उनके दफ्तर में कई लोग आते रहते थे और उनमें से कई ने दस्तावेज दिये. उन्होंने कहा कि और जिन मामलों में मुझे लगा कि व्यक्ति की जान खतरे में हो सकती है तो मैंने उनका नाम तक नहीं पूछा.
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