नौसेना को मिला स्वदेशी पनडुब्बी रोधी तारपीडो 'वरुणास्त्र'
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने बुधवार को भारतीय नौसेना को देश में ही बना अत्याधुनिक तारपीडो ‘‘वरुणास्त्र’ सौंपा, जिससे वह समुद्र की गहराई में छिपी पनडुब्बियों को ध्वस्त कर सकेगी.
(फाइल फोटो) |
वरुणास्त्र बनाने में सफलता हासिल करने के बाद भारत अत्याधुनिक तथा पनडुब्बी रोधी भारी भरकम तारपीडो बनाने वाले दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला ने भारत डायनामिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर यह तारपीडो बनाया है. पर्रिकर ने एक कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा को पनडुब्बी रोधी तारपीडो ‘वरुणास्त्र’ औपचारिक रूप से सौंपा.
इस मौके पर डीआरडीओ के महानिदेशक एस क्रिस्टोफर , रक्षा सचिव और रक्षा मंत्रालय तथा नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. वरुणास्त्र देश में ही बना पहला अत्याधुनिक तारपीडो है जिसे जल्द नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात किया गया जायेगा. यह तारपीडो सभी तरह की परिस्थितियों में समुद्र की गहराइयों में छिपी और समुद्र तल पर तैरती पनडुब्बियों को बखूबी निशाना बना सकता है.
भारत इस तरह का तारपीडो बनाने वाला दुनिया का आठवां देश बन गया है. नौसेना ने अपने युद्धपोतों के लिए इस तरह के 73 तारपीडो का आर्डर दिया है. पर्रिकर ने इसे नौसेना के लिए ऐतिहासिक बताते हुए डीआरडीओ तथा भारत डायनमिक्स लिमिटेड (बीडीएल को) को बधाई दी.
उन्होंने कहा कि वरुणास्त्र की गुणवत्ता से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए एक टीम बनाये जो पहले चरण के निर्माण तक गुणवत्ता पर पैनी नजर रखे.
उन्होंने कहा कि वरुणास्त्र के निर्यात की प्रबल संभावना है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब यह गुणवत्ता पर खरा उतरेगा. रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें तेजी के लिए जरूरी है कि देश में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में वास्तविक काम शुरू हो.
Tweet |