बिहार, झारखंड, ओडिशा, बंगाल एकीकृत कमान की और करे बैठक :राजनाथ सिंह

Last Updated 29 Jun 2016 04:10:45 PM IST

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सल प्रभावित चार राज्यों से कहा है कि वे इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए रणनीति बनाने के मकसद से एकीकृत कमान की बैठकें नियमित रूप से करें.


(फाइल फोटो)

राजनाथ सिंह ने बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की सरकारों से कहा कि वे एकीकृत कमान की बैठकें अक्सर किया करें ताकि बेहतर नतीजों के लिए नक्सल विरोधी रणनीतियों की निरंतर समीक्षा हो सके और नयी रणनीति बनाई जा सकें.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राजनाथ सिंह ने बीते सोमवार को रांची में हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद 'ईस्टर्न जोनल काउंसिल' की बैठक में संबंधित राज्यों को इस बात से अवगत कराया.

राजनाथ सिंह ने चारों राज्य सरकारों से कहा कि एकीकृत कमान की बैठकें नियमित रूप से बुलाया करें क्योंकि अनियमितता से साथ-साथ कार्रवाई और विकास की द्विआयामी रणनीति में प्रगति प्रभावित हो सकती है.
     
गृह मंत्री ने झारखंड की मिसाल भी पेश की जहां माओवादियों के अलग अलग समूह सक्रिय हैं और उनसे निपटने के लिए सुरक्षा बलों के बीच बेहतर तालमेल अैर बेहतर रणनीति की जरूरत है.
     
जोनल काउंसिल की बैठक नक्सल प्रभावित राज्यों में चलाई जा रही कई विकासात्मक योजनाओं की समीक्षा के लिए बुलाई गई थी और इसमें यह पाया गया कि बिहार किलाबंद थाने के निर्माण में पीछे रह गया है.बिहार में 45 किलाबंद थानों के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की गई थी जिनमें से अभी 40 का निर्माण होना बाकी है.
     
इस मामले में झारखंड में अच्छी प्रगति हुई है जहां स्वीकृत 73 किलाबंद थानों में सिर्फ दो का काम बाकी रह गया है. इसी तरह ओडिशा में 52 में 18 और पश्चिम बंगाल में 17 में से एक थाने का काम अभी पूरा नहीं सका है.

केंद्र सरकार ने 2011 में घोषणा की थी कि वह देश के 83 नक्सल प्रभावित जिलों में 400 किलाबंद थानों का निर्माण कराएगी. हर थाने पर दो करोड़ रूपये का खर्च आएगा. इस तरह के थानों के निर्माण का मुख्य मकसद नक्सली हमले की आशंका को कम से कम करना है.
 
देश के 10 राज्यों के 106 जिले माओवादी गतिविधियां से प्रभावित हैं और इनमें से सात प्रांतों के 35 जिलों की स्थिति बहुत खराब है.

नक्सल की समस्या का मुकाबला करने के लिए केंद्र सरकार ने बहुआयामी रणनीति अपनाई है जिनमें सुरक्षा संबंधी कदमों के साथ विकास के कदम उठाना और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है.
     
देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं. संसद की स्थायी समिति की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार सात प्रांतों के 35 जिलों में नक्सल गतिविधियों चिंता का विषय बनी हुई हैं. 



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