सांख्यिकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाएं : हामिद
उपराष्ट्रपति मो. हामिद अंसारी ने कहा है कि सूचकांक को अधिक परिष्कृत और अद्यतन बनाए जाने की जरूरत है, जिससे नीति नियंताओं को प्रासंगिक और समयबद्ध सूचना प्रदान की जा सके.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी. |
गलत आंकड़ों और उसकी गलत व्याख्या से बाजार में उतार-चढ़ाव आ सकता है, जिसका अर्थव्यवस्था पर चक्रीय प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए हमें कतिपय आंकड़ों के मानकों को बनाए रखने और सांख्यिकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किए जाने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा.
उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों और इसके विश्लेषण में खामियों को चिह्नित कर दूर करने की आवश्यकता है. विश्व में परस्पर जुड़े हुए देशों और मुक्त अर्थव्यवस्था के संदर्भ में आंकड़ों को जारी किए जाने और सूचनाओं के प्रति बाजार में अधिक तेजी से प्रतिक्रिया होती है.
उपराष्ट्रपति शुक्रवार को पटना में सामाजिक सांख्यिकी विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन\' आद्री\' ने किया था. उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में सार्वजनिक रूप से संग्रहित सामाजिक आंकड़ों की आलोचना केवल विदेशी कार्यकर्ताओं तक ही सीमित नहीं है.
जुलाई 2011 में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने सरकारी एजेंसियों द्वारा संग्रहित आंकड़ों की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की थी. कुछ महीने बाद तत्कालीन वाणिज्य सचिव ने यह स्वीकार किया था कि कतिपय मदों के गलत वर्गीकरण और डाटा एंट्री में हुई त्रुटियों के कारण 2011 में भारत के अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के निर्यात संबंधी आंकड़ों में 9.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर राशि अधिक दिखाई गई थी.
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