अवैध धन रखने वालों पर चलेगा मुकदमा: वित्त मंत्री ने पनामा दस्तावेज पर कहा
काला धन रखने वालों और पनामा दस्तावेज में सामने आये नामों के मामले में कड़ी कारवाई की चेतावनी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अवैध ढंग से धन रखने वालों के खिलाफ अभियोजन की कारवाई शुरू की जायेगी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो) |
उन्होंने दिल्ली में मोदी सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक समारोह के मौके पर कहा, \'\'पनामा मामले में जिनका नाम आया है, यदि उनके खाते में गैरकानूनी धन पाया जाता है तो उन पर एचएसबीसी खातों की तरह ही कार्रवाई की जायेगी.\'\'
हाल में सामने आए \'पनामा दस्तावेज\' में ऐसे सैंकड़ों भारतीयों के नाम हैं जिनकी कर चोरों की पनाहगाह स्थित इकाइयां में खाते हैं.
जेटली ने कहा कि सरकार पिछले वित्त वर्ष के दौरान एक कानून लेकर आई है ताकि विदेश में जमा काले धन से निपटा जा सके और अब घरेलू काले धन पर ध्यान दे रही है.
घरेलू स्तर पर काले धन के मामले में, चार महीने की अनुपालन व्यवस्था एक जून से खुलेगी. इसके तहत लोग कालेधन की घोषणा कर उसपर कर और जुर्माने सहित कुल 45 प्रतिशत का भुगतान कर पाक साफ हो सकते हैं.
जेटली ने कहा कि सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई की है जिनके करचोरी की पनाहगाह लिंचटेंस्टीन और एचएसबीसी में गैरकानूनी खाते हैं.
उन्होंने कहा, \'\'काराधान अधिकारियों ने उन लोगों का आकलन पूरा कर लिया है और लिंचटेंस्टीन में गैरकानूनी तौर पर धन जमा करने वालों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है.\'\'
जेटली ने कहा, \'\'हमने स्विट्जरलैंड के साथ समझौता किया है और उन लोगों का ब्योरा हासिल किया है जिनके एचएसबीसी में खाते में हैं. हमने उन लोगों के आकलन का काम पूरा कर लिया है जिनके एचएसबीसी, स्विट्जरलैंड में खाते थे. हमने एचएसबीसी में जमा 6,000 करोड़ रुपए के काले धन का आकलन किया है. हमने उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है.\'\'
वृहत्-आर्थिक रुझानों के बारे में बात करते हुए जेटली ने कहा कि वैश्विक मांग कम होना समस्या है क्योंकि वैश्विक रुझान से घरेलू बाजार का परिदृश्य प्रभावित हो रहा है.
उन्होंने कहा, \'\'भारत में शहरी मांग बढ़ रही है. वाहन, सीमेंट की बिक्री बढ़ रही है इसलिए शहरी मांग बढ़ रही है. मुझे लगता है कि वास्तविक चुनौती ग्रामीण मांग बढ़ाना है.\'\'
कराधान से जुड़े मामलों का हवाला देते हुए जेटली ने कहा, \'\'वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से भारत का आर्थिक एकीकरण होगा. इससे दीर्घकालिक स्तर पर कराधान की दर घटेगी. इससे अर्थव्यवस्था ज्यादा प्रतिस्पर्धी होगी और इससे राजस्व संग्रह भी बढ़ेगा. उम्मीद है कि इसका सकल घरेलू उत्पाद में भी योगदान होगा.\'\'
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