आतंकवाद से लड़ने में संयुक्त राष्ट्र में भारत के साथ सहयोग का इच्छुक है चीन : राष्ट्रपति

Last Updated 27 May 2016 07:35:46 PM IST

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चीन की अपनी यात्रा को समाप्त करते हुए कहा कि चीन ने आतंकवाद की समस्या से लड़ने में भारत के साथ सहयोग की इच्छा प्रकट की है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र में भी भारत के साथ सहयोग शामिल है.


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)

गुरुवार को राष्ट्रपति शी चिनफिंग समेत शीर्ष चीनी नेतृत्व से मुलाकात करने वाले मुखर्जी ने यह उम्मीद भी जताई कि भारत में बिजली की भारी कमी को समाप्त करने के लिए असैन्य परमाणु कार्यक्रम का अनुसरण करने में देश के लिए पूर्वानुमान योग्य वातावरण बनाने में चीन एक \'सकारात्मक और सुविधाजनक भूमिका\' अदा करेगा.

स्वदेश वापसी के दौरान एयर इंडिया वन विमान पर मीडिया के साथ बातचीत में इन दोनों मुद्दों पर राष्ट्रपति के बयान को जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र के कदम को बाधित करने में चीन के हालिया कदम के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. राष्ट्रपति का बयान चीन के इस रुख की पृष्ठभूमि में भी आया है कि भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में सदस्यता पाने के लिए परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने चाहिएं.

चीन का रुख एनएसजी में भारत की सदस्यता में अवरोध डालने के प्रयास के तौर पर देखा गया और नयी दिल्ली ने चीन के सुझाव को खारिज कर दिया. राष्ट्रपति ने कहा, \'\'आतंकवाद एक महत्वपूर्ण विषय था जिसे मैंने अपनी बैठकों में उठाया.\'\'

चीन के नेताओं के साथ अपनी मुलाकात में मुखर्जी ने उन्हें बताया कि आतंकवाद की बढ़ती गतिविधियों पर वैश्विक चिंता है.

उन्होंने कहा, \'\'भारत करीब साढ़े तीन दशक तक आतंकवाद का शिकार रहा है. कोई अच्छा या बुरा आतंकवादी नहीं होता. आतंकवाद ना तो विचारधारा का सम्मान करता है और ना ही भौगोलिक सीमाओं का. अकारण बर्बादी ही उसका एकमात्र मकसद है.\'\'

मुखर्जी ने कहा, \'\'इस वैश्विक समस्या से निपटने के लिए दुनिया के सभी देशों द्वारा व्यापक सहयोग जरूरी है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मजबूत और प्रभावी कार्रवाई में शामिल होना चाहिए. भारत और चीन को करीबी पड़ोसियों के तौर पर मिलकर काम करना चाहिए. चीनी नेतृत्व इस बात पर रजामंद हो गया कि आतंकवाद पूरी मानव जाति के लिए समस्या है. उन्होंने सहयोग बढ़ाने की इच्छा प्रकट की जिसमें संयुक्त राष्ट्र में भी सहयोग शामिल है.\'\'

जब एक पत्रकार ने मसूद अजहर के मुद्दे का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए पूछा कि क्या चीनी नेताओं के साथ बातचीत में \'मौजूदा समस्या\' उठी तो जवाब में राष्ट्रपति ने कहा, \'\'हम राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान किसी विशेष मुद्दे पर चर्चा नहीं करते.\'\'

उन्होंने कहा, \'\'हम खुद को समग्र नीतिगत मुद्दों तक सीमित रखते हैं और विशेष मुद्दों तक सीमित नहीं रखते. यह फैसला उस समय लिया गया था, जब मैं विदेश मंत्री था.\'\'

परमाणु मुद्दे पर मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने चीनी नेताओं को इस बात से अवगत कराया कि भारत में बिजली की काफी कमी है और वह देश में ऊर्जा उत्पादन महत्वपूर्ण तरीके से बढ़ाने के प्रयासों में लगा है.

मुखर्जी के मुताबिक दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि पड़ोसी देश होने के नाते समय-समय पर मतभेद उभरना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा, \'\'लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें अपने मतभेदों को संभालते हुए अपने रिश्ते को आगे बढ़ाते रहना चाहिए.\'\'

सीमा के जटिल प्रश्न पर चीनी नेताओं ने जल्द ही इस विवाद के निष्पक्ष, तर्कसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने का अपना संकल्प प्रकट किया.

उन्होंने कहा, \'\'मैंने चीन के नेताओं के साथ इस बात पर सहमति जताई कि सीमा के प्रश्न पर जल्द समाधान के प्रयासों में शामिल रहते हुए हमें सीमा प्रबंधन को दुरुस्त करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि सीमावर्ती इलाकों में अमन-चैन बना रहे.\'\'

 



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