चीन की आर्थिक मंदी दुनिया के लिए बड़ा जोखिम : राजन
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि चीन की आर्थिक मंदी अभी भी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा जोखिम बनी हुई है.
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन (फाइल फोटो) |
साथ ही उन्होंने बाहरी प्रभावों से देश की अर्थव्यवस्था के बचाव तथा इसे आंतरिक मजबूती प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा किये गये सुधारों की तारीफ की.
राजन ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रिय सहयोग संगठन (सार्क) देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक में कहा चीनी अर्थव्यवस्था में तेजी से आई सुस्ती अभी भी वैश्विक तथा सार्क क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा जोखिम बनी हुई है. चीन के आयात में पिछले साल आई बड़ी गिरावट का असर व्यापार, विकास, पर्यटन और रिमिटेंस (प्रवासियों द्वारा स्वदेश भेजे जाने वाले धन) के माध्यम से दूसरी अर्थव्यवस्थाओं पर पर रहा है और सार्क देश इसके दुष्प्रभाव से स्वयं को अक्षुण्ण नहीं रख सके हैं.
वर्ष 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी की सबसे पहले भविष्यवाणी करने वाले राजन ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था के सामने जरूरत से अधिक उत्पादन क्षमता तथा परिसंपत्तियों से कई गुणा दिये गये ऋण की समस्या है. इसमें जोखिम वाली परिसंपत्ति का दबाव और बढ़ने की आशंका है। इससे सार्क देशों की अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव का एक और दौर शुरू हो सकता है.
वैश्विक दुष्प्रभावों से देश की अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखने के मौजूदा सरकार के उपायों की तारीफ करते हुये राजन ने कहा कि हमारी स्थिरता के लिए अच्छी नीति जरूरी रही है। सरकार ने विकास को पटरी पर लाने के लिए सिंचाई, बीमा, बाजार तक पहुँच के जरिये कृषि क्षेत्र को गति देने, विशेषकर स्टार्टअप के लिए कारोबार को इंस्पेक्टर राज से मुक्त करने, बिजली वितरण कंपनियों की समस्याओं के समाधान तथा जनधन योजना तथा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिये वंचित लोगों तक वित्तीय सेवाओं का लाभ पहुँचाने जैसे ढाँचागत सुधारों की पहल की है.
राजन ने कहा कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को छोड़कर कई अन्य महत्वपूर्ण सुधार किये गये हैं। इनमें दिवाला कानून विधेयक लागू करना, स्पेक्ट्रम और खदानों जैसी सार्वजनिक संपत्तियों के आवंटन की प्रक्रिया के भ्रष्टाचार मुक्त बनाने, सरकारी बैंकों में प्रमुखों की नियुक्ति जैसे कुछ बड़े सुधार शामिल हैं। उन्होंने कहा इससे हमारे तां में पारदर्शिता काफी बढ़ी है.
आरबीआई द्वारा किये गये सुधारों के बारे में उन्होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत ने विकास दर बढ़ाने, वित्तीय घाटा कम करने के लिए वित्तीय अनुशासन, मँहगाई कम करने के लिए बेहतर खाद्य प्रबंधन, नई मुद्रास्फीति फ्रेमवर्क तथा मौद्रिक नीतियों के मानकीकरण तथा बैंकों के बैलेंसशीट का साफ-सुथरा करने जैसे ढाँचागत सुधार किये गये हैं.
राजन ने कहा कि इस समय सार्क देशों के सामने नयी चुनौतियाँ हैं. इनमें दुनिया के दूसरे देशों में जारी अनिश्चितता, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में संभावित बढ़ोतरी, कच्चा तेल की कीमतों में संभावित सुधार, ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने की आशंका, मध्य-पूर्व में भू-राजनैतिक जोखिम तथा वित्तीय बाजारों में जारी उथल-पुथल शामिल है.
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