द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए चीन पहुंचे मुखर्जी

Last Updated 24 May 2016 05:21:25 PM IST

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चार दिन के चीन दौरे पर मंगलवार को ग्वांगझू पहुंचे जहां द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक समझौते होंगे.


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चीन पहुंचे (फाइल फोटो)

द्विपक्षीय बैठकों के दौरान एनएसजी में भारत की सदस्यता का बीजिंग द्वारा विरोध करने और जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयास को रोकने जैसे मुद्दे भी उठेंगे.

राष्ट्रपति के तौर पर पहली बार चीन के दौरे पर आए मुखर्जी ने विभिन्न पदों पर रहने के दौरान कई बार इस देश का दौरा किया है जिसमें योजना आयोग के उपाध्यक्ष और रक्षा मंत्री के तौर पर किया गया दौरा शामिल है.

चीन के औद्योगिक शहर ग्वांगझू में मुखर्जी भारत-चीन बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे जिसमें कुछ शीर्ष भारतीय उद्योगपति भी मौजूद रहेंगे.

ग्वांगझू दक्षिण तटीय चीन के गुआंगडोंग प्रांत की राजधानी है, जो देश की जीडीपी में 12 फीसदी योगदान करता है और यहां चीन के कई महत्वपूर्ण उद्योग धंधे हैं.
    
राष्ट्रपति बृहस्पतिवार को बीजिंग पहुंचेंगे जहां वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन के दूसरे शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे जिनमें प्रधानमंत्री ली किकियांग और नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के अध्यक्ष झांग देजियांग शामिल हैं.

चीन के नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता और अजहर पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध का मुद्दा प्रमुखता से उठने के आसार हैं.

चीन के राष्ट्रपति शी के सितम्बर 2014 के भारत दौरे के समय से द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं, जिस दौरान दोनों देशों ने 12 समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और चीन ने भारत के आधारभूत ढांचे में 20 अरब डॉलर के निवेश की इच्छा जताई थी.



प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष मई में चीन की यात्रा की थी, जिस दौरान दोनों पक्षों ने कई क्षेत्रों में संबंध प्रगाढ़ करने पर जोर दिया था.

बहरहाल हाल में तब संबंधों में खटास आ गई जब चीन ने जैश ए मोहम्मद के प्रमुख अजहर को संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंधित कराने की भारत की पहल का विरोध किया और एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध करते हुए कहा कि 48 सदस्यीय समूह में शामिल होने के लिए उसे परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर अवश्य हस्ताक्षर करने चाहिए.

भारत ने चीन के तर्क का विरोध करते हुए कहा कि एनएसजी का सदस्य होने के लिए एनपीटी पर हस्ताक्षर करने को लेकर वह \'\'भ्रम\'\' में है क्योंकि गैर एनपीटी देशों को भी असैन्य परमाणु सहयोग में शामिल होने की अनुमति है.

दौरे में मुखर्जी के साथ कपड़ा मंत्री संतोष गंगवार, चार सांसद और विदेश सचिव एस. जयशंकर भी चीन के दौरे पर आए हैं.

 

 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment