अगस्ता मामले में पर्दे के पीछे से काम करने वालों को बेनकाब करेगी सरकार- पर्रिकर

Last Updated 04 May 2016 09:06:54 PM IST

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड मामले में सरकार पर्दे के पीछे से काम करने वालों का चेहरा बेनकाब करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी.


रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर

पर्रिकर ने कहा कि इटली की अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर खरीद के सौदे में नियमों को तोड़ा-मरोड़ा गया और सरकार इस मामले में रिश्वत लेने वालों तथा पर्दे के पीछे से काम करने वालों का चेहरा बेनकाब करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी. 

रक्षा मंत्री ने कहा कि मौजूदा जांच उन पर केन्द्रित होगी जिनका नाम इटली की अदालत के फैसले में आया है. साथ ही उन्होंने यह सुझाव दिया कि ‘अदृश्य हाथ’ की भूमिका ने पूर्व में इस मामले की समुचित जांच को रोका. 

पर्रिकर ने अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में रिश्वत के मुद्दे पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है कि इस सौदे में रिश्वत ली गयी. इटली के न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि भारत में शीर्ष स्तर के नीति निर्धारक इस मामले में शामिल है. उन्होंने कहा कि इटली के न्यायालय के फैसले में सामने आये नामों का भी संज्ञान लिया जायेगा और दोषियों तथा पर्दे के पीछे से काम करने वालों को बेनकाब किया जायेगा. 

रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सौदे में नियमों को तोड़ा-मरोड़ा गया और अगस्ता वेस्टलैंड को ध्यान में रखकर एक विक्रेता की स्थिति बनाने के लिए मानदंडों में फेरबदल किये गये. उन्होंने कहा कि अगस्ता के हेलिकॉप्टर ए डब्ल्यू 101 को चुनने तथा इसके प्रतिद्वंद्वी हेलिकॉप्टर को दौड़ से बाहर करने के लिए केबिन की 1.8 मीटर की उंचाई के मानदंड को अनिवार्य बनाया गया जबकि यह शुरूआती शर्तों में यह वांछनीय शर्त थी. इस कदम से एक विक्रेता की स्थिति बन गयी. 

पर्रिकर ने कहा कि एक बड़ी अनियमितता यह बरती गयी कि सौदे की शर्तें अगस्ता वेस्टलैंड इटली के साथ तय हुई और इनका जवाब ब्रिटेन स्थित अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड से आया. उन्होंने कहा कि इस सौदे को उसी समय रद्द कर दिया जाना चाहिए था. 

तीन जून 2013 में रक्षा मंत्रालय में लगी आग में बची फाइलों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देश की भौगोलिक परिस्थितयों को देखते हुए इन हेलिकाप्टरों का परीक्षण देश में ही किया जाना अनिवार्य बनाया गया था लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस नियम की अनदेखी कर ये परीक्षण ब्रिटेन तथा अमेरिका में कराये. उन्होंने कहा कि ये परीक्षण भी दूसरे हेलिकाप्टर में किये गये और उसमें नहीं किये गये जिसे खरीदा जाना था. अगस्ता कंपनी का हेलिकॉप्टर उस समय विकास के चरण में था. 

उन्होंने कहा कि देश में परीक्षण नहीं कराये जाने का परिणाम यह हुआ कि अगस्ता से खरीदा गया हेलिकाप्टर भारत में परीक्षण में फेल हो गया. यह हेलिकॉप्टर 5400 मीटर की उंचाई पर पेलोड ले जाने में अक्षम साबित हुआ और वह निश्चित हेलिपैड से उड़ान नहीं भर सका. 

पर्रिकर ने कहा कि अगस्ता के हेलिकॉप्टर ए डब्ल्यू 1 में निर्धारित मानदंडों में बदलाव को नजरअंदाज किया गया. उन्होंने कहा कि विमानों की कीमत में भी बेतहाशा बढ़ोतरी की अनुमति दी गयी. 

रक्षा मंत्री ने तत्कालीन संप्रग सरकार पर अगस्ता के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने में देरी का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में तेजी नहीं दिखाई और फिनमकैनिका कंपनी के सीईओ की गिरफ्तारी के बाद ही सरकार पूरी तरह सक्रिय हुई. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस मामले से जुडी जांच प्रक्रिया में तेजी आई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. 

इससे पहले कांग्रेस सदस्यों ने रक्षा मंत्री के जवाब के दौरान बार-बार बाधा पहुंचाने की कोशिश की. उनका आरोप था कि पर्रिकर विरोधाभासी बयान दे रहे हैं और इस मुद्दे पर अपने पहले के बयानों से पलट रहे हैं. विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि रक्षा मंत्री ने बहस का जवाब अपनी पार्टी के नेताओं की तर्ज पर दिया है. इससे सदन का अपमान हुआ है. 

 

 



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