मसूद अजहर को प्रतिबंधित कराने के लिए डिप्लोमेटिक दबाव बना रहा है भारत

Last Updated 04 May 2016 05:38:55 PM IST

संयुक्त राष्ट्र में जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगवाने के लिए भारत सरकार अपने राजनयिक मिशनों और राजनयिक चैनलों के जरिए दबाव बना रही है.


जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर

विदेश राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने बुधवार को लेकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के सवालों के जवाब में बताया कि भारत ने चीन को भी यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के मुद्दे पर चुनिंदा रूख नहीं अपनाया जा सकता.
   
पिछले महीने चीन ने जैश ए मोहम्मद प्रमुख और पठानकोट आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता अजहर पर प्रतिबंध लगवाने के भारत के प्रयासों में रोड़ा अटका दिया था.
   
सिंह ने बताया कि अजहर पर प्रतिबंध लगवाने के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में इस समय ‘‘तकनीकी रोक’’ है.
   
विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि भारत इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए राजनयिक चैनलों के जरिए जोर डाल रहा है.
   
चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में शामिल है जिन्हें वीटो का अधिकार प्राप्त है. इनमें चीन के अलावा फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं.
   
संयुक्त राष्ट्र ने जैश ए मोहम्मद पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद अजहर पर रोक लगवाने के भारत के प्रयास चीन की पहल के चलते सफल नहीं हुए थे.
   
संयुक्त राष्ट्र में सुधार और उसके विस्तारित स्वरूप में भारत की भूमिका संबंधी सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि बड़ी संख्या में विभिन्न देशों ने सुरक्षा परिषद में सुधार की भारत की पहल का समर्थन किया है और साथ ही स्थायी सदस्यता के लिए उसकी दावेदारी के प्रति भी समर्थन जताया है.
   
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जिस भी देश में जाते हैं उन देशों के साथ इस मुद्दे पर भारत के लिए समर्थन जुटाते हैं. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने विभिन्न द्विपक्षीय वार्ताओं सहित कई मंचों पर इस विषय को उठाया है.
  
संयुक्त राष्ट्र में सुधार के मसले पर स्थायी सदस्यों के रूख के बारे में वीके सिंह ने बताया, ‘‘वे हमारी बात का समर्थन करते हैं.’’ लेकिन चीन के संबंध में उन्होंने कहा कि वह भारत की स्थिति को समझता है और उसका यह विचार है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र में अच्छा काम करने का मौका मिलना चाहिए.
   
इससे पूर्व कांग्रेस के गौरव गोगोई ने अपने सवाल में कहा था कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की गुजरात यात्रा के बाद ऐसी उम्मीद बंधी थी कि अब सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन उसके बाद अजहर पर चीन का रूख चौकाने वाला है.
  
भाजपा के रतनलाल कटारिया ने भी सवाल किया था कि संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता के मसले पर चीन का रूख तो सबको पता है लेकिन बाकी चार सदस्यों का क्या कहना है. वे वैसे तो भारत को समर्थन करते हैं लेकिन बात जब वास्तविकता के आधार पर आती है तो ये बगले झांकने लग जाते हैं.
   
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में इस बारे में सरकार के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद में जल्द सुधार संयुक्त राष्ट्र को अधिक व्यापक रूप में प्रतिनिधित्वकारी, प्रभावी तथा पारदर्शी बनाने के लिए एक आवश्यक तत्व है.
  
 सिंह ने बताया कि भारत इस दिशा में अन्य मंचों के जरिए भी आवाज उठा रहा है जिनमें समूह चार (ब्राजील, भारत, जापान और जर्मनी) तथा एल 69 (विकासशील देशों का समूह) समूह भी शामिल है.



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