नम आंखों से लांस नायक हनमनथप्‍पा को राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम विदाई

Last Updated 12 Feb 2016 02:22:59 PM IST

लांस नायक हनुमनथप्पा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ कर्नाटक के धारवाड़ में उनके पैतृक गांव बेदातुर में शुक्रवार को किया गया.


नम आंखों से वीर सपूत थप्‍पा को अंतिम विदाई

कर्नाटक के धारवाड़ जिले के बेटादुर गांव में सेना और पुलिस के जवानों ने हनमनथप्‍पा को सलामी दी. तीन दिन तक कोमा में रहने के बाद हनमनथप्‍पा का गुरुवार को दिल्ली के सेना अस्पताल में निधन हो गया था. उनके अंतिम संस्कार में भारी संख्या में दर्शानार्थी मौजूद थे.

हनुमनथप्पा ने गुरुवार को दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में अंतिम सांस ली थी. उनके निधन की खबर से उनके गांव और परिवार में शोक की लहर है.

\"\"सियाचिन में बर्फ की 35 फीट मोटी परत के नीचे छह दिन तक दबे रहे जांबाज फौजी हनुमनथप्पा को बचाने के लिए डॉक्टरों ने पुरजोर कोशिश की, लेकिन बुरी तरह प्रभावित हो चुके उनके शरीर पर इलाज और दवाओं का कोई असर नहीं हो पा रहा था.

सियाचिन में 35 फीट बर्फ के नीचे से चमत्कारी ढंग से जीवित निकाले गए लांस नायक हनुमनथप्पा को आखिर बचाया नहीं जा सका. दिल्ली में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. यह खबर जैसे ही कर्नाटक स्थित उनके गांव धरवाड़ पहुंची, मातम छा गया.

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी शहीद हनुमनथप्पा की मां को पत्र लिखकर शोक व्यक्त किया है. हनुमनथप्पा के निधन पर प्रधानमंत्री ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा, आपके अंदर का सैनिक अमर रहेगा. मोदी ने ट्वीट किया, वह हमें उदास और व्यथित छोड़ गए. लांस नायक हनुमनथप्पा को भगवान शांति दें. आपके अंदर का सैनिक अमर रहेगा.

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कई सारे सैन्य अधिकारियों तथा अन्य ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

\"\"कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी एच के पाटिल और विनय कुलकर्णी के साथ शव को लेने हवाईअड्डे गए थे. उनके साथ विधानसभा में विपक्ष के नेता जगदीश शेट्टार और कई अन्य लोग भी पहुंचे थे. कर्नाटक सरकार ने शोकाकुल परिवार के लिए 25 लाख रूपए की अनुग्रह राशि घोषित की है.इसके साथ 2 एकड़ की खेती लायक ज़मीन और पत्नी को सरकारी नौकरी देने का एलान किया है.

मद्रास रेजिमेंट के जवान हनमनथप्‍पा के परिवार में उनकी पत्नी महादेवी अशोक बिलेबल और दो वर्ष की एक बेटी नेत्रा कोप्पाड है.

गौरतलब है कि तीन फरवरी को हिमस्खलन की चपेट में अपनी चौकी के आ जाने के बाद वह बर्फ के नीचे दब गए थे. रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि जब हिमस्खलन की चपेट में चौकी आई थी तब वह अपने स्लीपिंग बैग में पूरी पोशाक में सो रहे थे.

सेना के अधिकारी ने बताया कि हनुमनथप्पा ने 13 साल की अपनी सेवा में 10 साल मुश्किल भरे और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में सेवा दी. वह 2003 से 2006 के बीच जम्मू कश्मीर के माहोर में सेवारत रहे और आतंकवाद रोधी गतिविधियों में सक्रियता से भाग लिया. उन्होंने 2008 से 2010 तक जम्मू कश्मीर में 54वें राइफल्स (मद्रास) में सेवा दी. उन्होंने 2010 से 2012 तक पूर्वोत्तर में भी सेवा दी, जहां उन्होंने एनडीएफबी और उल्फा के खिलाफ अभियानों में भाग लिया.



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