वैज्ञानिकों ने खोजीं गुरूत्वाकर्षी तरंगें, मोदी ने की भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका की तारीफ

Last Updated 12 Feb 2016 09:29:41 AM IST

भारतीय वैज्ञानिकों ने गुरूत्वाकर्षी तरंगों की खोज के लिए महत्वपूर्ण परियोजना में डाटा विश्लेषण सहित अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.


फाइल फोटो

भौतिक और खगोल विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण खोज में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने गुरूवार को कहा कि अंतत: उन्होंने गुरूत्वाकर्षी तरंगों का पता लगा लिया है जिसकी भविष्यवाणी आइंस्टीन ने एक सदी पहले ही कर दी थी.
   
वैज्ञानिकों ने इस सफलता को उस क्षण से जोड़ा जब गैलीलियो ने ग्रहों को देखने के लिए दूरबीन का सहारा लिया था. इन तरंगों की खोज ने खगोलविदों को उत्साह से भर दिया है क्योंकि इससे ब्रह्मांड को समझने के नए रास्ते खुल गए हैं.

गुरूत्वाकर्षी तरंगों की खोज की घोषणा आईयूसीएए पुणे और वाशिंगटन डीसी, अमेरिका में वैज्ञानिकों ने समानांतर रूप से की.

ये तरंगें ब्रह्मांड में भीषण टक्करों से उत्पन्न हुई थीं. उधर, इन तरंगों की खोज से संबंधित परियोजना में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की है.

इंस्टिट्यूट ऑफ प्लाजमा रिसर्च गांधीनगर, इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) पुणे और राजारमन सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलाजी इंदौर सहित कई संस्थान इस परियोजना से जुड़े थे.

वैज्ञानिकों ने दो ब्लैक होल्स के बीच टक्कर के बाद दुनिया के सबसे अत्याधुनिक डिटेक्टर की मदद से एक सेकंड के 20 हजारवें हिस्से में तरंगों को दर्ज किया. इनमें से एक ब्लैक होल का वजन सूर्य से 35 गुना अधिक है और दूसरा उससे थोड़ा छोटा है. इस खोज से ब्रमांड के रहस्यों का खुलासा करने में मदद मिलेगी.

परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष अनिल काकोदकर ने गुरूत्वाकर्षी तरंगों की खोज में महत्वपूर्ण योगदान के लिए गुरूवार को भारतीय वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी.
   
उन्होंने ट्वीट किया, ‘अत्यधिक गर्व है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने इस चुनौतीपूर्ण खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.’



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