सियाचिन के नायक हनुमंथप्पा के धारवाड़ जिला के बेटादूर गांव में माहौल गमगीन
सियाचिन में हिमस्लखन में छह दिन तक दबे रहने के बाद जीवित निकाले गए लांस नायक हनुमंथप्पा कोप्पड का नयी दिल्ली स्थित सेना के आर आर अस्पताल में निधन हो जाने के बाद उनके कर्नाटक के धारवाड़ जिला के बेटादूर गांव में माहौल काफी गमगीन हो गया है.
हनुमंथप्पा के गांव में माहौल गमगीन (फाइल फोटो) |
बेटादूर गांव स्थित हनुमंथप्पा के घर के समीप बड़ी संख्या में उनके परिजन,दोस्त और अन्य लोग पहुंचे.हालांकि उनका परिवार अभी यहां नहीं है.
उनके निधन की खबर सुनने के बाद परिजन ,दोस्त और अन्य लोग रो पड़े. उन्होंने बताया कि किस तरह हनुमंथप्पा अपने पिता के निधन के बाद मेहनत कर आगे बढ़े और गरीबी से बाहर निकले. उनके पिता का निधन उसी समय हो गया था, जब वह मात्र एक वर्ष के थे.
हनुमंथप्पा ने मजदूरी का काम करते हुए प्राथमिक स्कूल की शिक्षा हासिल की. बाद में वे भारतीय सेना में भर्ती हुए.
उनके बचपन के एक दोस्त ने कहा, ‘‘उनके जीवन को लेकर पिछले सप्ताह से ग्रामीण लगातार प्रार्थना कर रहे थे. हमने एक बेहतरीन दोस्त खो दिया. भारत के सच्चे पुा पर हमें नाज है. हमारी प्रार्थनायें असफल साबित हुईं.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा, ‘‘हनुमंथप्पा के निधन की खबर सुनकर वह और पूरा कर्नाटक दुखी है. मैं आज शाम उनके परिजनों और उनसे मिलने के लिये दिल्ली जाने की योजना बना रहा था लेकिन बहादुर सैनिक के निधन की खबर सुनकर बेहद दुखी हूं.मैं हनुमंथप्पा के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं और उनके परिजनों के जल्द ही इस दुख से उबरने की कामना करता हूं.’’
विपक्षी दल के नेता जगदीश शेट्टार ने भी हनुमंथप्पा के निधन पर दुख जताया.
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