कैग रिपोर्ट का जनहित में खुलासा, संसद के विशेषाधिकार का हनन नहीं :भूषण
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बुधवार को एक संसदीय समिति से कहा कि नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट जनहित में सार्वजनिक किया जाना संसद का विशेषाधिकार हनन नहीं है.
अधिवक्ता प्रशांत भूषण (फाइल फोटो) |
उन्होंने कहा कि केजी बेसिन में डी-6 ब्लॉक के आवंटन पर नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट को कथित तौर पर समय से पहले सार्वजनिक किया जाना जनहित में आवश्यक था और इस सिलसिले में उन्हें जारी विशेषाधिकार हनन का नोटिस कानून के मुताबिक नहीं है.
समिति के समक्ष पेश होते हुए भूषण ने कहा कि इस मामले में रिपोर्ट कैग की मसौदा रिपोर्ट थी जो आखिरी रिपोर्ट सौंपे जाने से पहले तैयार की गई थी. कैग रिपोर्ट को संसदीय कार्यवाही का हिस्सा नहीं होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महज कानून के मुताबिक संसद में इसे पेश किया जाना इसे संसद या समिति की संपत्ति नहीं बनाता.
सूत्रों ने बताया कि संसदीय समिति के इस बारे में कानूनी राय मांगे जाने की संभावना है कि भूषण की दलील के बाद इस मामले में कैसे आगे बढ़ा जाए.
भूषण ने कहा कि यह स्पष्ट है कि रिपोर्ट के सार्वजनिक किए जाने ने किसी भी तरह से संसद के कामकाज को बाधित नहीं किया और इसलिए यह विशेषाधिकार हनन नहीं है. उन्होंने विशेषाधिकार समिति के नोटिस के जवाब में कहा है कि कैग रिपोर्ट संसदीय कार्यवाही या इसकी समिति का हिस्सा नहीं है बल्कि कैग एक स्वायत्त संस्था है जिसका गठन संविधान ने किया है.
तीन फरवरी को राज्य सभा की विशेषाधिकार समिति ने भूषण से आज अपने समक्ष उपस्थित होने को कहा था. केजी बेसिन में डी-6 ब्लॉक आवंटन पर कैग रिपोर्ट को कथित तौर पर समय से पहले सार्वजनिक किए जाने को लेकर उनके विशेषाधिकार हनन नोटिस जारी किया गया था.
उन्होंने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि न्यायालय ने भी कहा है कि संसदीय विशेषाधिकार में सिर्फ वही शामिल होगा जो बगैर बाधा के इसके संचालन की इजाजत देता हो. भूषण ने कहा कि विशेषाधिकार सदन के बाहर की गतिविधियों पर लागू नहीं होता जिस पर विधायी प्रावधान बगैर किसी भेदभाव के लागू होंगे.
उन्होंने केंद्रीय सूचना आयोग के 10 जून 2010 की तारीख वाले आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि मसौदा रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना या यहां तक कि कैग की आखिरी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना संसदीय विशेषाधिकार का हनन नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि यही विचार अटार्नी जनरल ने 2012 में दिया था जब कैग की रिपोर्ट या इसकी मसौदा रिपोर्ट को समय से पहले सार्वजनिक किए जाने का मुद्दा कैग ने सरकार के समक्ष उठाया था. उन्होंने कहा कि संसदीय विशेषाधिकार का प्रस्ताव का ब्रिटिश संसद से एक औपनिवेशिक उत्पत्ति है.
भूषण ने कहा कि संविधान ने नागरिकों को मूल अधिकार दिए हैं जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है.
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