निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए वैध आधार: भाजपा
निजी क्षेत्र की नौकरियों में अति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की एक केंद्रीय समिति की सिफारिशों को राजनीतिक दलों का समर्थन मिला.
भाजपा प्रवक्ता विजयशंकर शास्त्री (फाइल फोटो) |
सत्तारूढ़ भाजपा ने कहा कि एक अनुकूल माहौल का निर्माण करने के बाद ऐसा किया जा सकता है. भाजपा प्रवक्ता विजयशंकर शास्त्री ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) की सिफारिशों का स्वागत करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण का एक ‘वैध आधार’ है लेकिन यह एक अनुकूल माहौल बनाने के बाद ही दिया जा सकता है और इसे ‘थोपा नहीं जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में काम करने का वैध आधार है क्योंकि निजी क्षेत्र को सरकार से कई रियायतें मिलती हैं जिनमें कर संबंधी छूट और रियायती दर पर जमीन एवं पानी जैसे बुनियादी ढांचे शामिल हैं.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन आने वाले वैधानिक निकाय एनसीबीसी ने एक कानून पारित करने की सिफारिश की है जिसके तहत व्यवसाय, अस्पताल, स्कूल, ट्रस्ट आदि सहित निजी इकाइयों को अति पिछड़ा वर्ग के लिए नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण देना होगा.
आयोग ने इसे लेकर मंत्रालय और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को पत्र लिखे हैं. शास्त्री ने इस संदर्भ में भाजपा सरकार के एक अनुकूल माहौल के निर्माण की दिशा में काम करने का दावा करते हुए कहा कि संप्रग सरकार ने इसे लेकर कुछ नहीं किया था.
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने नपी तुली प्रतिक्रिया दी लेकिन वह भी सिफारिशों का समर्थन करती दिखी. पार्टी प्रवक्ता आर पी एन सिंह ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी ने हमेशा समाज में समानता को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं. इसके लिए हम अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए कानून लेकर आए. हमने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी निजी क्षेत्र में अनुसूचित जाति.अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की बात की थी.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद हमने प्रस्ताव दिया था कि सभी हितधारकों को शामिल करते हुए सकारात्मक कार्रवाई की जरूरत है. सबको साथ मिलकर फैसला लेना चाहिए जो सबके लिए लाभकारी हो.’’ जदयू और भाकपा ने भी सिफारिशों का जोरदार समर्थन किया.
भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी निजी क्षेत्र में भी आरक्षण का समर्थन करती है. हम सिफारिश का स्वागत करते हैं. प्रतिशत (आरक्षण की सीमा) को लेकर हमारा मानना है कि यह उच्चतम न्यायालय के फैसले की तर्ज पर होना चाहिए. जो भी संभव हो, वह दिया जाना चाहिए.’’
पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने भी रेड्डी की बात का समर्थन करते हुए निजी क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की जोरदार मांग की.
वहीं जदयू के महासचिव के सी त्यागी ने कहा, ‘‘सरकार अगर निजी क्षेत्र में अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए कानून लाती है तो हम उसका संसद के अंदर और बाहर समर्थन करेंगे.’’
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