Video: बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा, असहिष्णु देश नहीं है भारत

Last Updated 07 Feb 2016 05:26:10 PM IST

देश में असहिष्णुता पर छिड़ी बहस के बीच बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा है कि भारत असहिष्णु देश नहीं है.


धर्म को सरकार से रखा जाना चाहिए अलग (फाइल फोटो)

तसलीमा ने धर्मनिरपेक्ष लोगों द्वारा सिर्फ हिंदू कट्टरपंथियों को निशाना बनाने पर सवाल उठाया और कहा कि छद्म धर्मनिरपेक्षता पर आधारित लोकतंत्र कभी सच्चा लोकतंत्र नहीं हो सकता है.

बांग्लादेशी लेखिका ने केरल लिटरेचर फेस्टिवल में कहा, 'मुझे नहीं लगता कि भारत असहिष्णु देश है. ज्यादातर भारतीय एक-दूसरे की आस्था के प्रति सहनशील हैं.' असहिष्णुता के मुद्दे पर बहस में भाग लेते हुए तसलीमा ने कहा,'भारत का कानून असहिष्णुता का समर्थन नहीं करता uw, लेकिन देश में तमाम लोग असहिष्णु हैं.'

उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि भारत में धर्मनिरपेक्ष लोग सिर्फ हिंदू कट्टरपंथियों पर ही सवाल क्यों उठाते हैं और मुस्लिम कट्टरपंथियों को छोड़ देते हैं.

तसलीमा का मानना है कि भारत में वास्तविक संघर्ष धर्मनिरपेक्षता और कट्टरपंथ के बीच, नये विचारों और परंपराओं के बीच तथा आजादी को महत्वपूर्ण समझने वाले और नहीं समझने वाले लोगों के बीच है. इस मौके पर लेखिका ने कट्टरता के खिलाफ अपने संघर्ष को भी याद किया.

गौरतलब है कि 1994 में लिखे अपने उपन्यास के कारण तसलीमा को कट्टरपंथियों के विरोध के चलते बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था और तबसे ही भारत में निर्वासन में रह रही हैं. तसलीमा ने कहा कि धर्म को सरकार से अलग रखा जाना चाहिए. बांग्लादेश में कानून बनाने में धर्म के प्रभाव की वजह से हिंदू और मुस्लिम दोनों महिलाओं का दमन हुआ है.



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