अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार की

Last Updated 30 Nov 2015 04:37:56 PM IST

सरकारी खजाने को कथित तौर पर नुकसान पहुंचाने के लिए विशेष अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है.


अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार की (फाइल फोटो)

सीबीआई ने इस आरोप पर मामला दर्ज किया था कि नवंबर 2011 में रक्षा मंत्रालय एकीकृत मुख्यालय (नौसेना) ने डीएवीपी के साथ एक करोड़ रूपये के बजट के दायरे में आउटडोर प्रचार नौसेना अभियान का एक आदेश निकाला था और बाद में इसे अधिकारियों ने नौसेना तथा डीएवीपी महानिदेशक की अनुमति के बिना दो करोड़ रूपये कर दिया.

इसमें आरोप लगाया गया था कि आदेश 15 विज्ञापन एजेंसियों के पक्ष में जारी किए गए थे जिसमें मेसर्स ग्राफिक्स एड्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स पायनियर्स के पक्ष में बल्क ऑर्डर दिए गए, लेकिन निगरानी के दौरान 10 विज्ञापन एजेंसियों के काम में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और खामियों का पता चला.

इसने यह भी दावा किया था कि काम में खामियों के बारे में आपत्ति उठाए जाने के बावजूद डीएवीपी के अधिकारियों ने इन 10 विज्ञापन एजेंसियों को 100 प्रतिशत भुगतान कर दिया, जिन्होंने विज्ञापन एजेंसियों के साथ मिलीभगत कर अपने आधिकारिक पद का दुरूपयोग किया जिसका परिणाम सरकारी खजाने को नुकसान के रूप में मिला.

मामला भादंसं की धारा 120-बी(आपराधिक साजिश) 420 (धोखाधड़ी के साथ पढ़ें) तथा भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानोें के तहत दंडनीय कथित अपराधों के लिए दर्ज किया गया था.

हालांकि, मामले की जांच के बाद सीबीआई ने अदालत में यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट दायर की कि विज्ञापन एजेंसियों ने डीएवीपी के नियम शतरें के अनुरूप विज्ञापन प्रदर्शित किए और इसमें कोई खामी नहीं पाई गई.

सरकारी खजाने को कथित नुकसान के संबंध में एजेंसी ने कहा कि जांच के दौरान यद्यपि यह पाया गया कि सात विज्ञापन एजेंसियों को अधिक धन दिया गया लेकिन अधिक धन की वापसी के लिए मामला डीएवीपी को भेज दिया गया है.

विशेष सीबीआई न्यायाधीश विनोद कुमार ने सीबीआई के इस निष्कर्ष पर सहमति जताई कि लोकसेवकों और निजी पक्षों के बीच किसी साजिश का कोई सबूत नहीं है.



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