पोलियो को दोबारा आने से रोकने वाला टीका जारी
पोलियो को दोबारा आने से रोकने वाला टीका सोमवार को सरकार ने जारी कर दिया और इसका इस्तेमाल पोलियो ड्रॉप पिलाने के साथ-साथ किया जाएगा.
फाइल फोटो |
इसका उद्देश्य वापस आ सकने वाले घातक वायरस से दोहरी सुरक्षा उपलब्ध कराना है.
‘इनैक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन’ नामक इस टीके को सरकार के नियमित प्रतिरक्षण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा ताकि इस बीमारी के लौटकर आने के खतरे को मिटाया जा सके.
स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि हालांकि भारत को प्रमाणिक तौर पर 27 मार्च 2014 को पोलियो-मुक्त देश करार दे दिया गया था, लेकिन पोलियो के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.
उन्होंने कहा, ‘यह वायरस हमारे पड़ोसी देशों-पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अभी भी सक्रिय है. वहां पोलियो के मामले अभी भी सामने आते हैं. इसलिए इस बीमारी के दोबारा आ जाने का खतरा बना रहता है, खासतौर पर इन देशों के माध्यम से.’
इस टीके के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित एक समारोह में नड्डा ने कहा, ‘हम उन्हें तकनीकी, अनुभव एवं टीका संबंधी मदद समेत हर तरह का सहयोग देने के लिए तैयार हैं. लेकिन जब तक यह वायरस वैिक तौर पर खत्म नहीं हो जाता, तब तक हमें सतर्क रहना होगा.’
नड्डा ने कहा, ‘हमारे बच्चों को पोलियो से दोहरे तौर पर सुरक्षित करने के लिए आईपीवी को नियमित प्रतिरक्षण कार्यक्रम में शामिल किया जा रहा है.’ पहले चरण के तहत आईपीवी टीके को छह राज्यों-असम, बिहार, उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश और पंजाब में लाया जा रहा है.
हालांकि बच्चों को पांच साल की उम्र तक नियमित प्रतिरक्षण और पल्स पोलियो अभियानों के तहत ओपीवी (पोलियो ड्रॉप) मिलना जारी रहेगा.
स्वास्थ्य सचिव बी पी शर्मा ने कहा, ‘ओपीवी (पोलियो ड्रॉप) का तीसरा डोज लेने के साथ आईपीवी टीका लगवाने के बाद भी बच्चों को पांच साल की उम्र तक नियमित प्रतिरक्षण और पल्स पोलियो अभियानों के तहत ओपीवी डोज लेना जारी रखना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि देश से टाईप 2 पोलियो के उन्मूलन के साथ सरकार अप्रैल 2016 में टीओपीवी टीके को बीओपीवी टीके से बदलने की दिशा में काम कर रही है और प्रतिरक्षण कार्यक्रम में आईपीवी नामक नए टीके को शामिल करने से इस बदलाव का जोखिम कम हो सकेगा.
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