'गंदी राजनीति' में शामिल है कांग्रेस: शिवसेना

Last Updated 30 Nov 2015 12:28:21 AM IST

शिवसेना ने कांग्रेस पर अपनी गंदी राजनीति साधने के लिए संविधान संशोधन करने का आरोप लगाया है.


शिवसेना का मुखपत्र सामना (फाइल फोटो)

शिवसेना ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की उस टिप्पणी का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि सेक्युलरिज्म (धर्मनिरपेक्ष) एक ऐसा शब्द है जिसका सबसे अधिक दुरुपयोग हुआ. पार्टी ने कहा कि बाद के काल में दलित आबादी को यह महसूस हुआ कि कांग्रेस ने वोट बैंक की खातिर अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए फूट डालो और राज करो का फार्मूला अपनाया है.

पार्टी के मुखपत्र \'सामना\' के संपादकीय में शिवसेना ने कहा कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया कि जाति, पंथ और धर्म की दीवार हमेशा बनी रहे. हमारे देश में धर्मनिरपेक्ष शब्द का दुरुपयोग किया गया है. इसके अनुसार, देश एक सम्प्रभु राष्ट्र बना रहे यही सुनिश्चित करने के लिए संविधान का निर्माण किया गया, लेकिन गंदी राजनीति के लिए इसमें कई संशोधन किए गए.

शाह बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले को प्रभावहीन करने के लिए संविधान संशोधन किया गया. संपादकीय में लिखा है कि इस तरह के दृष्टांतों के कारण ही देश की सम्प्रभुता खतरे में है.

राजनाथ ने गत बृहस्पतिवार को लोकसभा में बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर भारत के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता विषय पर चर्चा के दौरान कहा थाए देश में सेक्युलर शब्द का आज सर्वाधिक दुरुपयोग हो रहा है. इसके दुरुपयोग को खत्म किया जाना चाहिए. इस शब्द के व्यापक दुरूपयोग के कारण समाज में तनाव के कई मामले हुए हैं.



राजनाथ सिंह ने कहा कि संविधान निर्माता अंबेडकर ने कभी भी संविधान की प्रस्तावना में सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) शब्द को जोड़ने के बारे में नहीं सोचा, लेकिन 1976 में एक संशोधन के जरिए इसे जोड़ा गया. उन्होंने कहा, संविधान के 42वें संशोधन के जरिए इसकी प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया. हमें इस पर आपत्ति नहीं है.

लोकसभा में हुई बहस का हवाला देते हुए सामना के संपादकीय में अंबेडकर, उनका संवैधानिक ढांचा और उसे लागू करने का श्रेय खुद लेने पर कांग्रेस की आलोचना की गयी है. शिवसेना ने कहा, बाद के काल में दलित आबादी को यह महसूस हुआ कि कांगेस जिसने लोकसभा में अंबेडकर की हार सुनिश्चित की, उसने बांटो और राज करो का फार्मूला अपनाया और अपनी स्वार्थ की राजनीति के लिए वोटबैंक की खातिर अंबेडकर का अनुसरण करने वालों का इस्तेमाल किया.

संपादकीय में यह राय दी गई है कि संविधान दिवस मनाया जाना तभी सार्थक होगा जब स्वार्थी नेताओं को इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने का ज्ञान आ जाए.

 

 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment