नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के मामले बढ़े, सतर्कता तेज की गई

Last Updated 29 Nov 2015 02:45:12 PM IST

कश्मीर घाटी में नियंत्रण रेखा पर सीमा पार से घुसपैठ के मामलों में अचानक वृद्धि होने के बाद सतर्कता तेज कर दी गई है.


(फाइल फोटो)

समझा जाता है कि पाकिस्तान से सक्रिय प्रतिबंधित आतंकी गुट लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद सहित अन्य गुटों ने बीते 10 सप्ताह में करीब 20 से 25 आतंकियों को सीमा के इस ओर भेजा है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कुपवाड़ा जिले में बीते आठ सप्ताह में हुई आतंकी गतिविधियों से संकेत मिला है कि पाक अधिकृत कश्मीर से घुसपैठ बढ़ी है और ये आतंकी गुट उत्तरी कश्मीर में अपना ठिकाना बनाना चाहते हैं जहां पाकिस्तान स्थित दोनों आतंकी संगठनों की उपस्थिति कमजोर हुई है.

सूत्रों के अनुसार, विभिन्न एजेंसियों से मिली खुफिया जानकारी के गहन विश्लेषण से संकेत मिलता है कि करीब 25 आतंकवादी शायद कुपवाड़ा के ऊंचाई वाले हिस्सों में प्रवेश कर चुके हैं और घाटी जाने की कोशिश कर रहे हैं.

लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को आईएसआई ने उत्तरी कश्मीर में अपने ठिकाने बनाने और अपने कैडरों और आतंकी गुटों के साथ सहानुभूति रखने वालों की मदद से स्थानीय लोगों से घुलने मिलने का आदेश दिया है.

करीब चार सप्ताह पहले कुपवाड़ा के पहाड़ी इलाकों में स्थित मनीगाह वन क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में आतंकवादियों और सेना के बीच रूक-रूक कर गोलीबारी हुई थी. इससे संकेत मिलता है कि लश्कर-ए-तैयबा के करीब दस आतंकी नियंत्रण रेखा पर शमसाबाड़ी रेंज पार कर मनीगाह वन क्षेत्र पहुंचे और खानाबदोशों के ‘धोक’ (अस्थायी आवास) में रह रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार, अब तक एक या दो आतंकी गोलीबारी में मारे गए और कुछ की ठंड से मौत हुई है जबकि अन्य की तलाश जारी है. इलाके में हुई मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल की भी जान चली गई.

सूत्रों ने बताया कि सेना ने जहां आतंकियों की खोज के लिए ड्रोन और अन्य तकनीकी उपकरणों पर जोर दिया है वहीं प्राकृतिक भूभाग की विषमताओं, जंगलों की सघनता, वहां की गुफाएं और कंदराएं और कम दृश्यता आतंकियों के छिपने और सेना पर अचानक हमले करने के लिए अनुकूल साबित हो रही हैं.

उन्होंने बताया कि लोलाब घाटी में कुछ आतंकियों के पहुंच जाने की आशंका को भी खारिज नहीं किया जा सकता.

सूत्रों के अनुसार, पिछले दिनों तंगधार में सेना के एक शिविर पर नाकाम आत्मघाती हमले को आतंकी गुटों की तिकड़म के तौर पर देखा गया ताकि अन्य हिस्सों पर दबाव कम हो और घुसपैठ की जा सके.

सेना ने 25 नवंबर को आत्मघाती हमला नाकाम कर दिया था लेकिन गोलीबारी में तीन आतंकी और एक नागरिक की जान चली गई.

लश्कर का शीर्ष कमांडर अबु कासिम ऊधमपुर हमले, वर्ष 2013 में सैन्य कर्मियों को गोलीबारी कर मार डालने जैसे कई मामलों में वांछित था. उसकी 29 अक्टूबर को कुलगाम में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई.

उसके पास से जो सामान मिला था, उसमें कूट भाषा में लिखा गया एक संकेत था कि वह लश्कर के 10 से 15 आतंकियों के समूह को लेने के लिए सात अक्टूबर को बांदीपोरा गया था. ये आतंकी लोलाब होते हुए बांदीपोरा के जंगल पहुंचे थे जहां उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया. बहरहाल, इस कार्रवाई में जम्मू कश्मीर पुलिस को अपने एक साहसी और होनहार अधिकारी अल्ताफ अहमद को खोना पड़ा.

सूत्रों के अनुसार, अबु कासिम की मौत के बाद बांदीपोरा में तलाशी ली गई लेकिन ऐसा लगा कि आतंकी भागने में सफल हो गये. समझा जाता है कि वे समीपवर्ती शहरों में छिप गए या फिर उन्होंने अपना ठिकाना दक्षिण कश्मीर में स्थानांतरित कर लिया.



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