कश्मीर समस्या के समाधान का एकमात्र रास्ता वार्ता है: फारूक

Last Updated 28 Nov 2015 08:40:35 PM IST

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान का एकमात्र रास्ता वार्ता है.


जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेने के लिए कुछ नहीं किया गया है और वह अपने बयान पर कायम रहे जिसको लेकर काफी आलोचना हो रही है.
    
नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने जम्मू में एक समारोह में कहा, ‘‘एकमात्र रास्ता वार्ता है और इसका समाधान ढूंढा जाए.’’
    
उन्होंने कहा, ‘‘जब से मैं राजनीति में आया हूं, मैंने हमेशा कहा है कि यह राज्य (पीओके और जम्मू-कश्मीर) कभी एक नहीं हो सकता. न तो हमारे पास उनका हिस्सा (पीओके) लेने की शक्ति है न ही उनके (पाकिस्तान) पास हमारा हिस्सा लेने की ताकत है. हम भी परमाणु शक्ति हैं और वे भी.’’
    
उन्होंने कहा, ‘‘सेना हमारी कितनी रक्षा कर सकती है और अगर पूरी भारत की सेना भी हमें बचाने आ जाए तो आतंकवादियों से वे हमें नहीं बचा सकते. एकमात्र रास्ता वार्ता और इसका समाधान ढूंढने का है.’’
    
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि कश्मीर मुद्दे का समाधान प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में हो जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
    
शुक्रवार के उनके बयान के सिलसिले में उन्होंने मीडिया पर बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के आरोप लगाए और कहा कि उनका विचार रहा है कि पाकिस्तान के पास पीओके रहे और भारत के पास जम्मू-कश्मीर और वह ऐसे किसी भी निर्णय को स्वीकार करेंगे जो भारत, पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के बहुतायत लोगों को स्वीकार्य हो.
    
पीओके पर संसद के 1994 के प्रस्ताव का हवाला देते हुए फारूक ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेने के सर्वसम्मति के प्रस्ताव के बावजूद कुछ नहीं हुआ है.
    
उन्होंने कहा, ‘‘वे कहते हैं कि संसद में प्रस्ताव है लेकिन मुझे बताइए कि उस हिस्से को वापस लेने के लिए संसद ने अभी तक क्या किया है.’’
    
उन्होंने कहा, ‘‘आपने प्रस्ताव पास किया, बताइए कि कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र में कितने प्रस्ताव हैं, उनमें से किसी को लागू किया गया है. सीमा पार से गोलीबारी के कारण दोनों तरफ के लोग पीड़ित हैं.’’
    
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान में भले ही नवाज शरीफ सरकार के प्रमुख हैं लेकिन वास्तविक सत्ता वहां की सेना के हाथ में है.
    
उन्होंने दावा किया कि अगर पाकिस्तान की सेना चाहे तो उसे शरीफ को हटाने में दो मिनट से ज्यादा का वक्त नहीं लगेगा. उन्होंने कहा, ‘‘जिस दिन भारत और पाकिस्तान के बीच समस्याओं का समाधान हो जाएगा, पाकिस्तान की सेना का महत्व खत्म हो जाएगा.’’
    
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ने उनसे कहा था कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात से पहले सभी बाधाओं को दूर किए जाने की जरूरत है जिससे सार्थक वार्ता में दिक्कत आती है.
    
कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि देश ने अभी तक उसे पूरा नहीं किया है.
    
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने ऐसा करने का प्रयास किया तो उसी दिन गांदरबल और बडगाम में दो नरसंहार हुए जिसमें निर्दोष और निहत्थे कश्मीरी पंडित मारे गए.’’
    
उन्होंने कहा, ‘‘स्थिति कैसे बदलेगी जब तक पाकिस्तान नहीं समझेगा कि जम्मू-कश्मीर का यह हिस्सा कभी भी उसका अंग नहीं बन सकता.’’
    
अब्दुल्ला ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मिस्र के शर्म अल शेख में रास्ता खोजने का प्रयास किया था और इस प्रयास का देश में और कांग्रेस के अंदर विरोध हुआ था.
    
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में काफी हंगामा हुआ और उनकी पार्टी के अंदर भी कहा जाता है कि अगर हम पाकिस्तान की बात करेंगे तो चुनाव हार जाएंगे. इन चुनावों की परवाह नहीं कीजिए जो लोगों को बांटते हैं.’’
    
उन्होंने कहा, ‘‘हर चुनाव भारत को कमजोर बनाता है और इसे मजबूत नहीं करता. हम धर्मों में बंट जाते हैं और धर्म को भी छोटे हिस्से में बांट देते हैं.’’



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