संसद में असहिष्णुता पर चर्चा के लिए तैयार है सरकार :जेटली

Last Updated 26 Nov 2015 10:31:44 PM IST

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार संसद में असहिष्णुता पर चर्चा के लिए तैयार है और भारत न केवल असहमति के लिए बल्कि कृत्रिम और फर्जी मतभेदों को व्यक्त करने के लिहाज से भी उदार है.


वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

भाजपा के शासन के मॉडल पर कांगेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बयानों को लेकर उन्हें आड़े हाथ लेते हुए जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कांग्रेस के मॉडल की तरह देश के सर्वोच्च पद पर नहीं पहुंचे हैं जो वंशवाद और पारिवारिक नियमों की पक्षधर है.

उन्होंने टाइम्स नाऊ चैनल से कहा, ‘‘भारत को अपनी उदार परंपराओं पर गर्व है और हमें इस पर गर्व रहना चाहिए.’’   जेटली से पूछा गया था कि क्या सरकार संसद में असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा, ‘‘और अगर कोई यह मुद्दा उठाता है तो निश्चित रूप से जवाब दिया जाना चाहिए और संसद सर्वश्रेष्ठ जगह है जहां इसका सर्वश्रेष्ठ उत्तर दिया जा सकता है.’’  जेटली ने कहा कि असहिष्णुता का मुद्दा ‘कृत्रिम विरोध’ और ‘कृत्रिम असहमति’ का मुद्दा है.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक उदार देश है. भारत उदार देश रहना चाहिए. किसी को भारत में असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए. अगर कोई असुरक्षित महसूस करता है और सरकार को यह संकेत देता है कि वह ऐसा महसूस कर रहा है तो ऐसे व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करना हमारी जिम्मेदारी है.’’

जेटली ने कहा, ‘‘हम इस तरह की धारणा नहीं बनने देना चाहते. मेरा विश्वास है कि भारत इतना उदार है कि न केवल असहमति को अनुमति देता है बल्कि कृत्रिम और फर्जी असहमति को भी अनुमति देता है. और पिछले कुछ दिन से हम यह देख रहे हैं.’’

उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान अचानक चर्चों पर हमलों का मुद्दा उठाया गया था.



जेटली ने कहा, ‘‘और अंतत: स्वतंत्र पुलिस जांच में पता चला कि किसी भी चर्च पर राजनीतिक कारणों से हमला नहीं किया गया था. दोषियों द्वारा चोरी और तोड़फोड़ के मामले सामने आये जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और मुकदमे चल रहे हैं. लेकिन इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया.’’

उन्होंने संसद में असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार की ओर से तैयारी जताते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि एक मामूली से मुद्दे की वजह से संसद का पिछला सत्र बेकार चला गया और यहां तक कि जब आखिरी दिन चर्चा हुई तो लोगों ने माना कि बिना किसी बात के इतना सब हुआ. इस विषय पर भी चर्चा हो जाए और हम मान लेंगे कि यह देश कितना उदार है.’’

भारतीय लोकतंत्र की तुलना पश्चिम से करते हुए जेटली ने कहा कि लोगों को अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच टीवी बहस में अभिव्यक्ति के तरीके को और पेरिस आतंकवादी हमलों के बाद जर्मनी, फ्रांस या अन्य यूरोपीय देशों में इस्तेमाल भाषाओं को देखना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘हमें भारतीय होने पर गर्व है क्योंकि आतंकवाद या वैश्विक आतंकवाद जैसे असहिष्णु कृत्यों की स्थिति में भी हमारा सार्वजनिक विमर्श बहुत सभ्य और परिपक्व रहा है.’’

जेटली ने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी की तरह काम करती है और भारतीय लोकतंत्र में नेतृत्व के मानदंड के तौर पर योग्यता को मान्यता देना शुरू किया जाना चाहिए ना कि परिवारों या वंश को. उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत बड़ी संख्या में राजनीतिक दल एक परिवार के शो की तरह है जहां ये परिवार पार्टियों और सरकारों को चलाते हैं और उन्हें जो लोग मंजूर हैं, वे सरकार में या पार्टी में नेता बन जाते हैं.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे मुख्यमंत्री मजबूत हैं, वे कठपुतली नहीं हैं. शिवराज सिंह चौहान अपनी योग्यता पर बने. देवेंद्र फडणवीस को उनकी योग्यता पर मुख्यमंत्री चुना गया.’’  जेटली ने कहा कि मोदी सरकार में मंत्रियों को नीति बनाने के लिए काफी आजादी है.

 

 



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