संसद का शीतकालीन सत्र: GST और असहिष्णुता मुद्दे पर हंगामे के आसार, पीएम बोले- विपक्ष करे सहयोग

Last Updated 26 Nov 2015 09:17:41 AM IST

संसद का शीतकालीन सत्र गुरुवार से शुरू हो रहा है. इस सत्र में असहिष्णुता, जीएसटी बिल और लैंड बिल को लेकर हंगामा होने के पूरे आसार हैं.


शीतकालीन सत्र: GST, असहिष्णुता मुद्दे अहम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष से राष्ट्रहित में जीएसटी विधेयक को पारित कराने और सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सहयोग मांगा है.

कांग्रेस ने असहिष्णुता के मुद्दे पर बहस के लिए पहले ही नोटिस दे दिया है. वहीं संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा है कि सरकार इस मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है. लेकिन संसद को सही ढंग से चलाना उनकी प्राथमिकता है.

सरकार जीसटी बिल समेत तमाम पेंडिंग बिलों को पास कराने के लिए कांग्रेस के बातचीत के लिए भी तैयार है. सरकार के जीएसटी बिल को पास करने समेत कई बिलों में मदद पर विपक्ष का रुख कड़ा है. इससे व्हिसल ब्लोअर बिल, रियल एस्टेट बिल और उपभोक्ता संरक्षण कानून सहित कई विधायी कार्य प्रभावित हो सकते हैं.

सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैठक में सभी दलों से कहा कि वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) विधेयक राष्ट्रहित में है और वित्तमंत्री अरुण जेटली संबंधित दलों से बात करके इसके बारे में उनके संदेहों का निवारण करेंगे. मोदी ने यह भी कहा कि संसद को सभी के सहयोग के साथ अर्थपूर्ण ढंग से चलाना चाहिए, जिससे कि जनता की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके.

बैठक में महत्वपूर्ण बात यह रही कि जदयू ने जीएसटी का समर्थन किया. इसके अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि उनकी पार्टी इसका समर्थन करेगी. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने हालांकि कहा कि केन्द्र को इस मुद्दे पर राज्यों के साथ चर्चा करनी चाहिए, क्योंकि राज्य जीएसटी लागू हो जाने से कर के मामलों में सभी विधाई शक्तियां खो बैठेंगे. उन्होंने कहा कि यह खेद की बात है कि वाम दलों द्वारा बार-बार यह बात कहे जाने के बावजूद केन्द्र राज्यों से चर्चा किए बिना इसे पारित कराने का दबाव बना रहा है.

प्रधानमंत्री ने बैठक में यह भी बताया कि पेरिस में होने जा रही जलवायु परिवर्तन पर बैठक के बारे में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर विभिन्न दलों के नेताओं से और भी बात करके उसमें अपनाए जाने वाले भारत के रुख को बताएंगे. उन्होंने कहा कि जो दल इस बारे में अपने सुझाव देना चाहते हैं, वह उन्हें बता सकते हैं. संसद सत्र के हंगामी रहने की अटकलों के बीच वरिष्ठ मंत्रियों ने इससे निपटने के बारे में मंगलवार को एक बैठक करके विचार विमर्श किया था.

उधर कांग्रेस, जदयू और माकपा ने अपने इरादों को स्पष्ट करते हुए सरकार को घेरने के इरादे से असहिष्णुता सहित कई मुद्दों पर र्चचा कराने के नोटिस दिए हैं. विपक्ष अपने आक्रामक तेवर अगले सोमवार से जाहिर करेगा, जब सरकार संविधान और इसके निर्माता बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर र्चचा के लिए दो दिन की विशेष बैठक के बाद अपने विधायी कामकाज का एजेंडा सदन में रखेगी.

शीत सत्र में विरोध के संकेतों के बीच वरिष्ठ मंत्रियों ने मंगलवार को सदन में समन्वय के लिए रणनीति तैयार की और विचार विमर्श किया जबकि कांग्रेस, जदयू और माकपा जैसे दलों ने अपने इरादे साफ करते हुए असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस देने का फैसला किया है. ये दल सुधार के एक प्रमुख कदम जीएसटी पर भी सरकार को निशाने पर लेंगे.

राजग के मंत्रियों ने संसद के दोनों सदनों में चर्चा के लिए लाए जाने वाले विधायी प्रस्तावों पर विचार विमर्श किया, जिनमें अध्यादेशों का स्थान लेने संबंधी तीन विधेयक, जीएसटी विधेयक, भूसंपदा नियमन विधेयक आदि हैं. मंत्रियों ने दादरी की घटना, तर्कवादी लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या और ऐसी ही अन्य हालिया घटनाओं पर भी र्चचा की, जिनके आधार पर कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता का अभियान चलाया जा रहा है.

समझा जाता है कि सरकार संसद में यह कहते हुए गेंद राज्यों के पाले में डाल सकती है कि केंद्र और भाजपा का इन घटनाओं से कोई लेना देना नहीं है. सरकार के कर्ताधर्ता कह सकते हैं कि इन मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब दे चुके हैं. इन मुद्दों के संदर्भ में सरकार के अंदर यह विचार है कि इन पर रक्षात्मक रवैया अपनाने का कोई कारण नहीं है लेकिन अगर विपक्ष इस बारे में चर्चा करने पर जोर देता है तो इसके लिए तैयार रहना चाहिए.

जीएसटी पर सरकार की मुश्किल खत्म होने के आसार नहीं हैं. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा था कि जीएसटी विधेयक पर सरकार ने अपना होमवर्क नहीं किया है. उसने सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई है जबकि उसे इस पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलानी चाहिए थी. अगर विधेयक सदन में पारित नहीं होता है तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार होगी, क्योंकि उसने अपना होमवर्क नहीं किया है.

येचुरी ने कहा कि माकपा सहित छह वाम दल भाजपा और संघ परिवार से जुड़े दलों द्वारा नफरत फैलाए जाने को लेकर संसद में और संसद के बाहर विरोध भी जताएंगे.

संशोधनों को मानने पर ही देंगे जीएसटी पर साथ : कांग्रेस

कांग्रेस ने बुधवार को दो टूक शब्दों में कहा कि वह गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में जीएसटी को पारित कराने में सरकार का साथ तभी देगी, जब वह इस संविधान संशोधन विधेयक में उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखेगी और अधिकतम कर की सीमा 18 प्रतिशत निर्धारित करेगी. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के बाद यह बात कही.

आजाद ने कहा कि बैठक में हमने वित्त मंत्री जेटली का ध्यान अखबार में छपी उन दो रिपोर्टों की तरफ दिलाया, जिनमें से एक खबर में यह कहा गया है कि जेटली जीएसटी विधेयक पर विपक्षी दलों से मिलेंगे जबकि दूसरी खबर में कहा गया है कि वह विधेयक में कर की सीमा निर्धारित करने के लिए राजी नहीं हैं.

हालांकि अरुण जेटली ने कहा कि वह इस मुद्दे पर विचार विमर्श करेंगे. उन्होंने कहा, "जीएसटी विधेयक हमने बनाया था और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सदन से बाहर भी इसके बारे में कहा है और मैंने और मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन के भीतर भी इसके बारे में कहा है. हम जीएसटी को पारित कराने के पक्ष में हैं, लेकिन यह एकतरफा या असंतुलित विधेयक नहीं होना चाहिए. इसमें उद्योग जगत तथा वाणिज्य जगत के साथ-साथ उपभोक्ताओं का भी ख्याल रखा जाना चाहिए."

आजाद ने कहा हम चाहते हैं कि सरकार संविधान संशोधन विधेयक में ही अधिकतम कर की सीमा 18 प्रतिशत निर्धारित कर दे क्योंकि सरकार बाद में कभी दो, कभी पांच, कभी दस प्रतिशत बढ़ाकर इसे 20 से 30-40 प्रतिशत भी कर देगी और यह उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि विदेशों में भी जीएसटी 14 प्रतिशत से अधिक नहीं है. कांग्रेस नेता ने कहा कि हम यह भी चाहते हैं कि जेटली इस मुद्दे पर केवल कांग्रेस से ही नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक दलों से बात करें चाहें उनके एक या दो सांसद क्यों न हों. इस विधेयक से सबको फायदा मिलना चाहिए केवल सोनिया गांधी, राहुल गांधी या खड़गे या आजाद को नहीं. हमने पिछले सत्र में भी यही कहा था कि अगर सरकार हमारे संशोधन को मानेगी तो हम सरकार का साथ देंगे.

पेंडिंग हैं कई बिल

हंगामे की वजह से मानसून सत्र पूरी तरह धुल जाने के कारण कुल आठ बिल लोकसभा और 11 राज्यसभा में अटके हैं. जीएसटी और भूमि अधिग्रहण से जुड़े बिल तो संसद की समितियों के पास ही फंसे हैं. सूत्रों की मानें तो सरकार विवादित भूमि बिल को छोड़कर बाकी सभी बिलों की नैया पार लगाने की कोशिश में है. संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलेगा. 



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