सभी दलों को साथ लेकर संसद की कार्यवाही को चलाना चाहती है सरकार : PM मोदी

Last Updated 25 Nov 2015 02:04:48 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार से शुरु हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र को सुचारु रुप से चलाने में सभी राजनीतिक दलों से सहयोग करने की अपील की है.


सभी दलों को साथ लेकर संसद की कार्यवाही को चलाना चाहती है सरकार : PM मोदी (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री ने कहा है कि सरकार सभी दलों को साथ लेकर आपसी विचार-विमर्श से ही संसद की कार्यवाही को चलाना चाहती है. शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर यहां आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह अपील की.

बैठक की जानकारी देते हुए संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने पत्रकारों से कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी पार्टियों से कहा है कि वे संसद की कार्यवाही में भाग लेकर सत्र को सुचारु रुप से चलाने में सहयोग दें. सरकार सभी के साथ विचार-विमर्श कर संसद की कार्यवाही को चलाने के पक्ष में है.

संसद का यह शीतकालीन सा बिहार चुनाव में भाजपा की हार के बाद हो रहा है जिसको देखते हुए विपक्षी दलों के हौसले बुलंद हैं और वे अपनी बात जोरदार ढंग से रखेंगे और सरकार को घेरने की कोशिश भी करेंगे.

नायडू ने कहा कि दादरी और साहित्यकार कलबुर्गी की हत्या जैसी घटनायें दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार या भारतीय जनता पार्टी का इनसे कोई लेना-देना नहीं है तथा न ही सरकार किसी पर अपने विचार थोपना चाहती है.

नायडू ने गुरुवार से शुरु हो रहे संसद के शीतकालीन सा से पहले बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में विभिन्न दलों के नेताओं से कहा कि पिछले कुछ दिनों में हुई घटनायें दुर्भाग्यपूर्ण है और यह चिंता का विषय है लेकिन सरकार या पार्टी का इनसे कोई लेना-देना नहीं है और न ही हम किसी पर कोई विचार थोपना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार जानती है कि विकास और प्रगति के लिए शांति तथा भाईचारे का माहौल जरूरी है और वह इसके लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोटरें में कहा जा रहा है कि देश में असहिष्णुता बढ़ी है. सरकार इसे सही नहीं मानती. लेकिन यदि विपक्ष चाहे तो सरकार उसी परिप्रेक्ष्य में इस मुद्दे पर संसद में चर्चा के लिए तैयार है.

उन्होंने सभी दलों के नेताओं से अपील की कि वे राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर संसद की कार्यवाही चलाने में सहयोग करें और आर्थिक प्रगति तथा विकास के लिए जरूरी विधेयकों को पारित कराने में सहयोग करें.

जीएसटी विधेयक पर सरकार का ध्यान

संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्षी दल असहिष्णुता के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं जबकि सत्ता पक्ष जीएसटी विधेयक को पारित कराने पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए अपनी इच्छा जता चुका है.

विपक्ष अपने आक्रामक तेवर अगले सोमवार से जाहिर करेगा जब सरकार संविधान और इसके निर्माता बी आर अंबेडकर पर उनकी 125वीं जयंती के अवसर चर्चा के लिए दो दिन की विशेष बैठक के बाद अपने विधायी कामकाज का एजेंडा सदन में रखेगी.

सरकार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है. भाजपा संसदीय दल की कार्यकारणी और राजग के घटकों की आज प्रधानमंत्री के आवास पर बैठक होगी. इससे पहले सर्वदलीय बैठक होगी जो लोकसभा अध्यक्ष ने बुलाई है.

सत्र में विरोध के संकेतों के बीच वरिष्ठ मंत्रियों ने कल सदन में समन्वय के लिए रणनीति तैयार की और विचार विमर्श किया जबकि कांग्रेस, जदयू और माकपा जैसे दलों ने अपने इरादे साफ करते हुए असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस देने का फैसला किया है. ये दल सुधार के एक प्रमुख कदम जीएसटी पर भी सरकार को निशाने पर लेंगे.

राजग के मंत्रियों ने संसद के दोनों सदनों में चर्चा के लिए लाए जाने वाले विधायी प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया जिनमें अध्यादेशों का स्थान लेने संबंधी तीन विधेयक, जीएसटी विधेयक, भूसंपदा नियमन विधेयक आदि हैं.

मंत्रियों ने दादरी की घटना, तर्कवादी लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या और ऐसी ही अन्य हालिया घटनाओं पर भी चर्चा की जिनके आधार पर कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता का अभियान चलाया जा रहा है.

समझा जाता है कि सरकार संसद में यह कहते हुए गेंद राज्यों के पाले में डाल सकती है कि केंद्र और भाजपा का इन घटनाओं से कोई लेना देना नहीं है. सरकार के कर्ताधर्ता कह सकते हैं कि इन मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब दे चुके हैं.

इन मुद्दों के संदर्भ में सरकार के अंदर यह विचार है कि इन पर रक्षात्मक रवैया अपनाने का कोई कारण नहीं है लेकिन अगर विपक्ष इस बारे में चर्चा करने पर जोर देता है तो इसके लिए तैयार रहना चाहिए. जीएसटी पर सरकार की मुश्किल खत्म होने के आसार नहीं हैं.

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘जीएसटी विधेयक पर सरकार ने अपना होमवर्क नहीं किया है. उसने सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई है जबकि उसे इस पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाना चाहिए था. अगर विधेयक सदन में पारित नहीं होता है तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार होगी क्योंकि उसने अपना होमवर्क नहीं किया है.’

वाम नेता ने देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ पर चर्चा करने के लिए एक नोटिस भी दिया है. उन्होंने बताया कि नोटिस को ‘चर्चा के लिए पहले नोटिस’ के तौर पर राज्यसभा के सभापति ने मंजूरी दे दी है ‘इसलिए हम इसके विरोध में आवाज उठाएंगे.’

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘हमने असहिष्णुता पर चर्चा के लिए पहले ही नोटिस दिए हैं और इसे नियम 193 के तहत स्वीकार किया जाना चाहिए. हम संविधान पर चर्चा करेंगे. इसके अलावा हमने इस विषय पर एक और नोटिस दिया है.’

उन्होंने कहा, ‘जब भी इसे स्वीकार किया जाएगा, हम इस पर एक साथ चर्चा करेंगे. हममें से हर कोई चाहता है कि देश में शांति और विकास के लिए तथा निवेश के लिए सहिष्णुता का माहौल हो.’

पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि इस सरकार के बीते 18 माह के दौरान ‘बढ़ती असहिष्णुता’ जाहिर करने वाले ‘घर वापसी’, दादरी से लेकर ऐसे ही अन्य मुद्दों को उठाया जाएगा. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ‘असहिष्णुता’ के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस देगी.

यादव ने ट्विटर पर कहा, ‘हम संविधान के लिए प्रतिबद्धता पर चर्चा के दौरान लव जिहाद से लेकर घर वापसी और बढ़ती असहिष्णुता का मुद्दा उठाएंगे.’
  
जदयू के महासचिव के सी त्यागी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे केंद्रीय मंत्रियों गिरिराज सिंह, साध्वी निरंजन ज्योति, महेश शर्मा, वी के सिंह और संजीव बालयान को हटा दें. केवल इस मुद्दे पर बहस और संकल्प पारित कर देना ही पर्याप्त नहीं है. इन मंत्रियों को हटा कर प्रधानमंत्री को यह संकेत देना चाहिए कि उनके लिए कामकाज का महत्व है.’



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