जम्मू कश्मीर विधानसभा में धार्मिक सद्भाव बनाये रखने की अपील करने वाला प्रस्ताव पास

Last Updated 09 Oct 2015 03:24:57 PM IST

गौमांस के मुद्दे पर भाजपा सदस्यों द्वारा एक निर्दलीय विधायक को पीटने की घटना के एक दिन बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से उमर अब्दुल्ला द्वारा लाये गये एक प्रस्ताव को पारित कर दिया.


उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो)

इसमें राज्यवासियों से धार्मिक सद्भाव बनाये रखने की अपील की गयी है.

प्रश्नकाल समाप्त होने के तुरंत बाद विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य में सौहार्द और सद्भाव के माहौल को बिगाड़ने के लिए जानबूझकर प्रयास किये जा रहे हैं.

विधायक शेख अब्दुल राशिद पर गुरुवार को हुए हमले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य का असली चेहरा नहीं है और लोगों को सद्भाव और भाईचारा बनाये रखने का संदेश देने के लिए विधानसभा को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए. मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने तत्काल अब्दुल्ला के सुझाव का समर्थन किया और इस पहल के लिए उनकी तारीफ की.

अब्दुल्ला ने कहा कि गुरुवार को जो कुछ भी हुआ वह जम्मू कश्मीर का असली चेहरा नहीं है. उन्होंने कहा कि बंटवारे के समय महात्मा गांधी को भी राज्य में आशा की एक किरण दिखी थी.

उन्होंने कह, ‘‘ये कश्मीर के लोग थे जिन्होंने हाथों में खिलौना बंदूक लेकर ‘हमलावर खबरदार, हम कश्मीरी हैं तैयार’ और ‘हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में हैं भाई-भाई’ का नारा दिया था.

उन्होंने कहा कि राज्य में धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं.

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों की धार्मिक भावनाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं लेकिन ऐसा लगता है कि सौहार्द और सद्भाव को बिगाड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं. जम्मू में इंटरनेट सेवा निलंबित है और उधमपुर में शुक्रवार को तनाव का माहौल है. एक बार फिर से गांधी की आशा की किरण को राज्यवासियों तक भेजें.’’

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा कि वह इस बात से ‘खुश’ हैं कि अब्दुल्ला ने यह मुद्दा उठाया है. उन्होंने अब्दुल्ला के दादा और नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की तारीफ की. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति के पुरोधा ने 1947 के विभाजन से बहुत पहले धर्मनिरपेक्ष राजनीति को लेकर कदम उठाया था.

सईद ने कहा कि कट्टरता किसी के लिए अच्छी नहीं है, उसे खत्म करने की आवश्यकता है और देश का समावेशी होना जरूरी है.

विधानसभा अध्यक्ष कविंद्र गुप्ता ने सदन में प्रस्ताव रखा जिसे सदस्यों ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया.



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