सत्ता की भूख को संतुष्ट करने के लिए धर्म का मुखौटा न लगाएं: राष्ट्रपति

Last Updated 09 Oct 2015 09:40:25 AM IST

गौमांस को लेकर विवाद बढ़ने और इसमें सांप्रदायिक रंग चढ़ने के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आगाह किया कि घृणा भाषण और भय फैलाने वाली बातें बंद की जानी चाहिए.


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ व्यक्तियों की सत्ता की भूख को संतुष्ट करने के लिए धर्म का उपयोग मुखौटे की तरह नहीं किया जाना चाहिए.

जार्डन यात्रा से पूर्व अरबी दैनिक अल गहद को दिए साक्षात्कार में मुखर्जी ने मध्य मार्ग की आवाज को बुलंद करने को कहा.

उन्होंने कहा, ‘‘घृणा भाषण और भय फैलाने वाली बातें बंद होनी चाहिए. हमें मध्य मार्ग की आवाज को बुलंद करना चाहिए. हमें कुछ व्यक्तियों की सत्ता की भूख को संतुष्ट करने और नियंत्रण के लिए धर्म का उपयोग मुखौटे की तरह करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए.’’

राष्ट्रपति की यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के दादरी में 50 साल के एक व्यक्ति की गौमांस की अफवाह के कारण पीट पीटकर जान लिये जाने के मुद्दे और उसके बाद शुरू हुई राजनीति की पृष्ठभूमि में आयी है.

उन्होंने कहा, ‘‘सहिष्णुता और सह अस्तित्व हमारी सभ्यता के बुनियादी सिद्धांत हैं. हमें वे बहुत प्रिय हैं.’’ उन्होंने ध्यान दिलाया कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देशों के बीच सह अस्तित्व के लिए पंचशील का सिद्धांत प्रतिपादित किया था.

मुखर्जी ने कहा कि वह जार्डन के शाह अब्दुल्ला से सहमत हैं कि विश्व के समक्ष तीसरे विश्व युद्ध का खतरा है और हमें इस स्थिति से समान भावना से निबटना चाहिए. ‘‘मैं इस बात से भी सहमत हूं कि हमें एक-दूसरे के मत और पंथ की मूल भावनाओं की ओर लौटना चाहिए.’’

उन्होंने अब्दुल्ला के एक भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रत्येक देश, प्रत्येक मत, प्रत्येक पड़ोस के नेताओं को किसी भी तरह की असहिष्णुता के प्रति स्पष्ट और सार्वजनिक रूख अपनाना चाहिए.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि आतंकवाद का खात्मा व्यापक, समन्वित अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिये ही हो सकता है जिसमें मजबूत और लागू कर सकने योग्य अंतरराष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था हो.’’   

प्रणव 10 अक्टूबर से जार्डन, फलस्तीन और इस्राइल की अपनी ऐतिहासिक यात्रा शुरू करेंगे.



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