भूमि विधेयक के मुद्दे पर विभिन्न विकल्पों पर विचार को तैयार : सरकार
केन्द्र सरकार ने संकेत दिया कि वह भूमि विधेयक के मुद्दे पर विभिन्न विकल्पों पर विचार को तैयार है लेकिन साथ ही कहा कि इस मामले पर संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही \'\'हम आगे बढ सकते हैं\'\'.
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बीरेन्द्र सिंह (फाइल फोटो) |
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बीरेन्द्र सिंह ने कहा, \'\'अगर सर्वसम्मति से कोई रिपोर्ट आती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है.\'\' उनसे पूछा गया था कि भूमि विधेयक के भविष्य का क्या होगा क्योंकि ऐसी खबरें हैं कि इस विवादास्पद विधेयक पर गौर कर रही संसद की संयुक्त समिति बिहार चुनाव समाप्त हो जाने के बाद ही अपनी बैठक शुरू करेगी.
जब उनसे बार-बार यह पूछा गया कि क्या राजग सरकार इस संबंध में अध्यादेश की मियाद समाप्त हो जाने के बावजूद संप्रग के भूमि कानून में बदलाव के लिए आगे बढेगी, ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा, \'\'संसद की संयुक्त समिति अभी भी जीवित है. समिति को अपनी रिपोर्ट देने दीजिये. अगर रिपोर्ट अच्छी है और यह सर्वसम्मत है तो हम आगे बढ सकते हैं. रिपोर्ट आने दीजिये.\'\'
सिंह ने कहा कि भाजपा सांसद एस एस अहलुवालिया के नेतृत्व वाली इस समिति के संसद के अगले सत्र के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट दिये जाने की संभावना है.
ग्रामीण विकास मंत्री ने यह भी बताया कि नीति आयोग की एक बैठक में कई मुख्यमंत्री खुद अपनी जरूरतों के मुताबिक भूमि अधिग्रहण कानून बनाना चाहते थे जिसपर केन्द्र सहमत है. ग्रामीण विकास मंत्री यहां मनरेगा के लिए प्रशिक्षण नियमावली और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के प्रभाव आंकलन अध्ययन जारी करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.
विपक्ष और राजग के कुछ घटक दलों के विरोध के कारण सरकार ने अगस्त के अंतिम सप्ताह में विवादास्पद भूमि अधिग्रहण पर अध्यादेश को फिर से जारी न करने का निर्णय किया था.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित अपने \'मन की बात\' कार्यक्रम में कहा था कि सरकार ने यह तय किया है कि भूमि अधिग्रहण से संबंधित अध्यादेश को समाप्त होने दिया जाए. सरकार भूमि अध्यादेश को फिर से जारी नहीं करेगी. लेकिन किसानों को सीधा लाभ मिलने वाले 13 बिंदुओं को नियमों के तहत लाकर लागू कर रही है ताकि किसानों को नुकसान न हो.
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