जन्माष्टमी में ब्रजमंडल हुआ कृष्णमय

Last Updated 05 Sep 2015 06:10:35 PM IST

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भिन्न आयोजनों से समूचा ब्रजमंडल कृष्णमय हो उठा है.


जन्माष्टमी में ब्रजमंडल हुआ कृष्णमय

यद्यपि शनिवार को ब्रज के पांच मंदिरों में ही जन्माष्टमी मनाई जा रही है तथा शेष मंदिरों में जन्माष्टमी रविवार को मनाई जाएगी मगर तीर्थयात्रियों का हजूम जिस प्रकार से यहां पर उमड पड़ा है उसने मंदिरों में हो रहे अभिषेक तथा अन्य कार्यक्रमों में चार चांद लगा दिए हैं. चहुंअसर नन्द के लाला की जय और श्यामाश्याम की जय, जय जय श्री राधे की गूंज से भक्ति नृत्य करती प्रतीत हो रही है.

वृन्दावन के शाह जी मंदिर में दिन में जन्माष्टमी मनाए जाने के कारण तीर्थयाियों जमावड़ा सुबह से लगा रहा. यमुना जल से अभिषेक करने के बाद कई मन दूध, दही,घी, शहद, बूरा एवं औषधियों से सेवायत आचार्य शाह के0एस0 गुप्ता एवं शाह प्रशांत गुप्ता ने वैदिक माोंं के मध्य अभिषेक किया तो वातावरण कुछ समय के अन्तराल में श्यामाश्याम के जयकारों से गूंजता रहा.

अभिषेक और ठाकुर जी के श्रंगार तथा आरती के बाद शुरू हुये चरणामृत के वितरण में लगभग डेढ़ घंटे लग गए. दिन में जन्माष्टमी मनाने का कारण पूछे जाने पर सेवायत आचार्य प्रशांत गुप्ता ने बताया इस मंदिर के निर्माण से लेकर आज तक दिन में जन्माष्टमी मनाने की जो परंपरा चली आ रही है उसी का आज भी निर्वहन किया जा रहा है.

प्रेम मंदिर के मीडिया प्रभारी पी0के0 वाजपेयी के अनुसार वृन्दावन में नियमित दर्शन के अलावा विभिन्न कम्प्यूटराइज्ड झांकियां तैयार की गई हैं जिनमें से वसुदेव का बालकृष्ण को यमुना पार कर गोकुल ले जाने की झांकी तीर्थयात्रियों के आकषर्ण का केन्द्र बनी हुई है.

उन्होंने बताया कि एक ओर सुबह से रात 12 बजे तक चलनेवाला हरिनाम संकीर्तन चल रहा है वहीं  मंदिर में कई मन दूध दही आदि से रात 11बजकर 40 मिनट से होनेवाला अभिषेक दर्शनीय होता है इसलिए उसी की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

वृन्दावन के कृष्ण बलराम मंदिर में ठाकुर का श्रंगार रंग बिरंगे विदेशी फूलों से इस प्रकार किया गया था कि जो भी ठाकुर की अप्रतिम छवि को देखता धन्य हो जाता. इस मंदिर में बिना अन्न जल ग्रहण किये विदेशी कृष्णभक्त हरिनाम संकीर्तन कर रहे हैं तथा मंदिर का कोना कोना धार्मिक वातावरण से रंग गया है.

इससे पूर्व शुक्रवार की शाम से ही गोवर्धन की परिक्रमा करने ही होड़ सी मच गई है. दानघाटी मंदिर के सेवायत आचार्य अच्छू लाल के अनुसार शुक्रवार की शाम से अब तक कम से कम चार लाख तीर्थयात्री गिरि गोवर्धन की परिक्रमा कर चुके हैं तथा तीर्थयात्रियों के आने का क्रम जारी है.

उधर तीर्थयात्रियों के लिए ब्रजवासियों ने एक प्रकार से पलक पांवड़े बिछा दिए हैं. उनके लिए स्टेशन और बस स्टैंड से लेकर शहर के विभिन्न स्थानों पर जानेवाले मागरे पर भंडारे लगाए गए हैं तथा शीतल पेयजल की व्यवस्था की गई है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर तीर्थयात्रियों की श्रद्धा का केन्द्र श्रीकृष्ण जन्मस्थान इस प्रकार बना कि परिसर में प्रवेश करने के लिए सुबह से ही लम्बी लम्बी लाइनें लग गईं. जिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि इस बार अधिक पार्किंग स्थल बनाने से तीर्थयाियों को काफी सुविधा हुई है . पूरे जिले में कहीं से किसी प्रकार की अप्रिय घटना का समाचार नही है.

उधर केशव देव मंदिर के दर्शन के लिए तीन तीन चार चार लाइनों का बना लम्बा क्रम आज श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित गिर्राज मंदिर, गर्भगृह मंदिर और यहां तक भागवत भवन तक में जारी रहा. जन्मस्थान परिसर के मंदिरों एवं बाहर का वातावरण आज अलौकिक था.

इस कार्यक्रम में चार चांद लगाया भजन गायक मथुरेश एवं श्याम सुन्दर चतुर्वेदी की टीम ने जिसने ब्रज के लोक गीतों के माध्यम से श्रीकृष्ण जन्मस्थान के लीला मंच को इतना संवारा कि सुबह साढे 9 बजे से शुरू हुआ कार्यक्रम दोपहर 12 बजे के बाद तक जारी रहा तथा श्रोता लीला मंच के परिसर को छोड़ने को तैयार नही थे.

श्रीकृष्ण की लीलाओं से संबंधित भजनों एवं लोक गीतों पर तीर्थयात्रियों ने भी जमकर नृत्य किया. श्रीकृष्ण जन्मस्थान के लीलामंच पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए काष्र्णि गुरू शरणानन्द महाराज ने कहा कि परिसर में मौजूद सभी लोग भाग्यशाली हैं कि वे आज अजन्मे श्रीकृष्ण के अवतरण के दिन उस भूमि पर बैठे हैं जिसने दुष्टों एवं राक्षसों के संहार का इतिहास बनाया.

देवता भी इस अवसर के लिए तरसते हैं. अपने आने का कारण यद्यपि भगवान ने गीता में यदा यदा हि धर्मस्य...कहकर बताया किंतु उनका केवल उद्येश्य असुरों का संहार करना नही था यह काम तो वे अवतार लेने के पहले ही कर सकते थे.उनका कहना था कि भगवान को यहां मौजूद लोगों की तरह के भक्त अत्याधिक प्रिय हैं.

उन्होंने बताया कि जीव चार प्रकार के हैं जहां पामर विषयी, इन्द्रियों में संयम न करने वाला, विषयी शासों की ओर कम ध्यान देने वाला तथा भोगी उसकी पहचान होती है. मुमुक्ष का उद्येश्य भगवत प्राप्ति एवं मुक्त पुरूष संसार में रहकर भी संसार से विरक्त होता है.   

उनका कहना था कि भगवान की लीला निरोध होती है जो उक्त चारो प्रकार के लोगों के लिए होती है. उन्होंने बताया कि यदि मन निरूद्ध हो जाता है तो इन्द्रिया भी निरूद्ध हो जाती हैं. शेष तीन के लिए भगवान ऐसी लीला करते हैं कि जो हंसता है वह हंसता ही रह जाता है और जो रोता है वह रोता ही रह जाता है. प्रमुख बात यह है कि भगवान की समस्त लीला प्राणी मा के कल्याण के लिए होती है.

उन्होंने दुनिया को सिखाया कि गृहस्थ होकर भी इस प्रकार रहों जिस प्रकार से कीचड़ में खिलने के बावजूद कमल पर कीचड़ का असर नही पड़ता. उन्होंने सदैव भक्त को ही महत्व दिया तथा वे सामंजस्य की प्रतिभूर्ति बने.

इस अवसर पर मणिराम छावनी के महंत एवं श्रीकृष्ण जन्मस्थान न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि भगवान के बारे में केवल उनके भक्त ही जान सकते हैं.

सामान्यतया लोग भगवान की ही परीक्षा लेने लगते हैं जब कि वे परीक्षा का विषय न होकर पूजन के विषय हैं. भगवान को केवल प्रेम ही प्रिय है उन्हें मनुष्य क्या दे सकता है जो उनके द्वारा मानवमा को दी गई हैं.

इससे पहले जन्मस्थान पर शनिवार सुबह शहनाई वादन से दिन की शुरूआत हुई तथा विभिन्न मंदिरों में वैदिक माोंं के मध्य मंगला आरती हुई तथा अभिषेक किया गया. मंगला के पूर्व ठाकुर ने चन्द्रकी पोशाक धारण किया.

 भारत विख्यात द्वारकाधीश मंदिर में शनिवार को मंगला के दर्शन करने के लिए भक्तों का हजूम ऐसा जुड़ा कि लोगों को ठाकुर की एक झलक पाना मुश्किल सा हो गया.

इसी प्रकार अभिषेक के दर्शन के लिए कुछ लोगों को तो मंदिर के खंभों तक में चढना पडा.

आज ब्रज में उमंग और हर्ष उल्लास का वातावरण दिखाई पड़ रहा है.

न केवल ब्रजवासी उत्साहित हैं बल्कि जन्माष्टमी मनाने के लिए दूर दराज से आनेवाले भक्त भी जोश से भरे हुए हैं.आज ब्रज का हर घर मंदिर बन गया है तथा इस मंदिर को नया कलेवर देने के लिए ब्रजवासियों में होड़ सी मची हुई है.




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