ओआरओपी पर सरकार की घोषणा से पूर्व सैनिक असंतुष्ट

Last Updated 05 Sep 2015 04:23:02 PM IST

वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) की मांग को लेकर ढाई माह से अधिक समय से आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिकों ने इस पर सरकार की घोषणा का स्वागत किया, लेकिन विभिन्न बिंदुओं पर अपना असंतोष भी जताया.


ओआरओपी पर सरकार की घोषणा से पूर्व सैनिक असंतुष्ट (फाइल फोटो)

ओआरओपी पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की घोषणा के तत्काल बाद पूर्व सैनिकों ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में सरकार की घोषणा का स्वागत तो किया, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि विभिन्न बिंदुओं पर वे पूरी तरह असंतुष्ट हैं.

पूर्व सैनिकों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे सेवानिवृत्त  मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि धरना और अनशन समाप्त करने या नहीं करने के बारे में शाम को एक बैठक करके निर्णय लिया जाएगा.

मेजर जनरल सिंह ने कहा कि ओआरओपी को पहली जुलाई से लागू करने, समीक्षा की अवधि दो साल के बजाय पांच साल करने, एक सदस्यीय न्यायिक आयोग के गठन तथा उसे रिपोर्ट के लिए छह माह समय देने, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने वाले पूर्व सैनिकों को इस लाभ से वंचित रखने के सरकार के फैसले को पूर्व सैनिक पूरी तरह खारिज करते हैं.

उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री से शनिवार की सुबह हुई मुलाकात के दौरान उन्होंने सेना में वीआरएस को लेकर सरकार की गलतफहमियों को दूर करने का प्रयास किया था और उन्होंने इसे मान भी लिया था, लेकिन घोषणा में इस मुद्दे को फिर से शामिल किया गया है, जिसका पूर्व सैनिक पूरी तरह विरोध करते हैं. पूर्व सैनिक इस बारे में सरकार से स्पष्टीकरण मांगेंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार ने एक अप्रैल 2014 से ओआरओपी को लागू करने की बात कही थी, लेकिन अब इसे आगे खिसकाकर एक जुलाई 2014 कर दिया गया है, जो सही नहीं है.

इतना ही नहीं, आज की मुलाकात में पेंशन की समीक्षा हर दो साल पर किये जाने का अनुरोध किया था लेकिन सरकार ने इसे बढ़ाकर पांच साल कर दिया है. उन्होंने पूछा कि जब नौकरशाहों की पेंशन की समीक्षा हर साल की जाती है तो बाकियों के लिए बंदिश क्यों लगाई जा रही है?

मेजर जनरल सिंह के अनुसार, पूर्व सैनिकों ने समान पेंशन पर निर्धारण के लिए पांच-सदस्यीय आयोग के गठन की मांग की थी, जिसमें तीन सदस्य पूर्व सैनिक, एक सेवारत सैनिक और एक सदस्य रक्षा मांलय द्वारा नियुक्त किये जाने की सलाह दी गई थी लेकिन सरकार ने इसके बदले एक-सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित करने का फैसला लिया है, जिसका आंदोलनरत पूर्व सैनिक विरोध करते हैं.

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट सौंपने के लिए आयोग को छह माह का समय देना भी उन्हें मंजूर नहीं है. उन्होंने इसके लिए केवल एक माह का समय दिया था. उन्होंने बताया कि आंदोलन समाप्त करने को लेकर शाम को बैठक में फैसला लिया जाएगा.

 



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