संघ ने मोदी सरकार को पिलायी ‘सुझावों’ की तगड़ी घुट्टी

Last Updated 04 Sep 2015 09:08:08 PM IST

RSS ने मोदी सरकार को देश की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने, सामरिक ताकत में इजाफा करने,आम आदमी को रोटी कपड़ा मकान, सम्मान, स्वाभिमान एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने की नसीहत दी है.


संघ-बीजेपी की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी हुए शामिल (फाइल फोटो)

राजधानी में सरसंघचालक मोहन राव भागवत के सान्निध्य में तीन दिन तक चली समन्वय चिंतन बैठक में सरकार को देश में शिक्षा को बाजारीकरण से मुक्त करने, चार-पांच साल में शत प्रतिशत साक्षरता हासिल करने, गाँवों से शहरों में पलायन रोकने के लिये सुखी ग्राम जीवन सुनिश्चित करने, देश की सांस्कृतिक परंपरा से जुड़े स्थानों की स्वच्छता एवं रखरखाव आकर्षक रखने तथा पड़ोसी देशों के साथ शरीर के अंग’ के समान सहयोग एवं सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने के भी सुझाव दिए गये.

हालांकि विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़यिा के राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर कोई खास बात नहीं सामने आयी जबकि धर्म आधारित जनगणना के मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके उसे राँची में होने वाली संघ की कार्यकारी परिषद् में लाने का फैसला हुआ.

वैचारिक आदान- प्रदान के साों के आज पूरा होने के बाद संघ के सहसरकार्यवाह दत्ताोय होसबोले ने संवाददाताओं के समक्ष तीन -दिन के विचार मंथन के परिणामों को साझा किया.

बैठक के समापन अवसर पर सरसंघचालक के उद्बोधन से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी वहां पहुंचे.

बैठक में केन्द्र सरकार के लगभग दस मंत्रियों ने भी शिरकत की और अपने अपने विभागों से जुड़े कामों और उपलब्धियों के बारे में जानकारियों को साझा किया.

श्री होसबोले ने हालाँकि स्पष्ट किया कि यह संघ की नियमित बैठक थी और इसमें राजनीति सहित विभिन्न क्षेाों में काम करने वाले स्वयंसेवक कार्यकर्ताओं ने विचारों, अनुभवों एवं सुझावों का आदान प्रदान किया. उन्होंने कहा कि राजनीतिक क्षेा में काम करने वाले कार्यकर्ताओं में कई लोग सरकार में मंत्री हैं तो स्वाभाविक रूप से देश की दशा-दिशा पर बातचीत हुई है.

उन्होंने बैठक में उठाये गये विषयों की जानकारी देते हुए कहा कि देश की एकता, अखंडता और आंतरिक एवं बाय सुरक्षा को लेकर स्वयंसेवक बेहद संवेदनशील एवं जागरूक हैं. उनका कहना हैं कि देश की सब प्रकार की ताकत बढ़नी चाहिये. आतंकवाद, माओवादी ¨हसा के मुकाबले के लिये समाज की शक्ति बढ़े और सरकार सही नीति पर चले, इस बारे में कुछ सुझाव दिये गये हैं.

अर्थव्यवस्था के बारे में सहसरकार्यवाह ने कहा कि लोगों का मानना है कि पश्चिमी आर्थिक मॉडल विफल हो चुका है. यूरोप में भी लोग सड़कों पर आ गये हैं और गरीबी का दंश झेल रहे हैं.

ऐसे समय में भारतीय चिंतन के अनुरूप आधुनिक युगानुकूल मॉडल विकसित किया जाये. उन्होंने कहा कि ऐसा विकास मॉडल बने जिसमें पर्यावरण की रक्षा भी हो और विकास भी हो सके. उन्होंने इसके लिये चिाकूट में नानाजी देशमुख के ग्रामोदय मॉडल का उदाहरण भी दिया.

श्री होसबोले ने गाँवों से शहरों की ओर पलायन को चिंताजनक बताते हुए कहा कि गाँवों से लोग तीन कारणों -कमाई, पढ़ाई और दवाई को लेकर शहरों की ओर भाग रहे हैं. इसलिये गाँवों में ये चीों कैसे उपलब्ध करायी जायें और कैसे सुखी ग्राम जीवन सुनिश्चित हो, इसकी कोई योजना बनायी जानी चाहिये.

श्री होसबोले ने कहा कि संघ का मानना है कि कमजोर दुर्बल गरीब आम आदमी का जीवन किस प्रकार से सुखी हो. इसका प्रयास होना चाहिये. यह सच है कि सबको कार नहीं दी जा सकती पर सबको रोटी, कपड़ा, मकान के साथ सम्मान, स्वाभिमान एवं सुरक्षा सुलभ करायी जानी चाहिये. उन्होंने बताया कि स्वावलंबन को लेकर कुछ सुझाव आये हैं. सरकार उन पर विचार करेगी.

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार शिक्षा प्रणाली पर हुए मंथन में कहा गया कि शिक्षा का भारतीयकरण किया जाना चाहिये. आधुनिक पाठ्यक्रम के साथ भारतीय चिंतन का समावेश किया जाना चाहिये. इसी प्रकार शिक्षा भौगोलिक रूप से सबको सुलभ होनी चाहिये, आर्थिक रूप से बोझ वाली ना हो और सर्वसमावेशी होनी चाहिये.

उन्होंने बताया कि सरकार से कहा गया कि इस समय देश में साक्षरता की दर 74 प्रतिशत के आसपास है. क्या अगले चार-पाँच साल में शत प्रतिशत साक्षरता हासिल हो सकती है. उन्होंने बताया कि यह भी कहा गया कि शिक्षा महँगी नहीं हो और उसका बारीकरण नहीं होना चाहिये. इस दिशा में सरकारी एवं गैरसरकारी संगठन प्रयास कर रहे हैं.

विदेश नीति पर हुई चर्चा की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के इर्द गिर्द दक्षेस के देश एक परिवार के सदस्य जैसे हैं. नेपाल भूटान श्रीलंका आदि अपने परिवार जैसे हैं. पाकिस्तान और बंगलादेश तो अपने ही शरीर के हिस्से रहे हैं. वे अपने ही भाई हैं. कभी कभी भाई - भाई में कुछ (मनमुटाव) हो जाता है. उसे भूल कर संबंध कैसे हो सकते हैं. इस दृष्टि से पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते रखे जाने चाहिये.

श्री होसबोले ने कहा कि संघ सांस्कृतिक परम्परा पर विशेष आग्रह रखता है. मेले, तीज, त्योहार, धार्मिक आस्था, इतिहास एवं संस्कृति से जुड़े स्थानों में स्वच्छता एवं उनके रखरखाव को ठीक रखने के बारे में भी बातचीत हुई.

श्री होसबोले ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि यह सरकार की कोई समीक्षा बैठक नहीं थी बल्कि समाज के विभिन्न क्षेाों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं द्वारा जनता के विचारों का आदान- प्रदान मात्र था. उन्होंने कहा कि विचार मंथन की यह प्रक्रिया बहुत लाभकारी रही.

उन्होंने कहा कि अब सभी कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में लौटकर बेहतर काम करेंगें.

सवाल जवाब की श्रृंखला में श्री होसबोले ने बताया कि बैठक में धार्मिक जनगणना का उल्लेख आया तो कहा गया कि एक दो वरिष्ठ कार्यकर्ता आँकड़ों का अध्ययन करके एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगें जिसपर राँची में कार्यकारी परिषद् की बैठक में विचार किया जाएगा.

दक्षेस देशों खासकर पाकिस्तान को भारत का भाई बताये जाने और हाल ही में उसके द्वारा सीमा पर की गयी भारी गोलाबारी एवं आतंकवाद को बढ़ावा दिये की दशा में क्या किया जाना चाहिये, यह पूछे जाने पर श्री होसबोले ने कहा, ‘‘भारत में कौरव और पाँडव भी हुए है. वे भी भाई भाई ही थे. पर धर्मस्थापना के लिये सब करना पड़ता है.’’

वन रैंक वन वन पेंशन के मामले में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बैठक में बताया कि सरकार इस मसले को जल्दी ही सुलझा देगी. हमारा विश्वास है कि यह जल्दी हो जाएगा.

विहिप नेता डा0 तोगड़यिा द्वारा राम मंदिर का मुद्दा उठाये जाने की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दू संत महात्मा दिशा देते हैं और कार्यक्रम तय करते हैं और संघ उस पर काम करता है. उन्होंने कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में है. सरकार का अपना एक टाइम टेबल है और हमें विश्वास है कि वे उस टाइम टेबल पर चलेंगे.

इस बैठक में मोदी सरकार के मंत्रियों ने अपने अपने मंत्रालयों के कामकाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसे आधार बनाकर विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार जनता के प्रति नहीं बल्कि संघ के प्रति जवाबदेह है. इन आरोपों पर श्री होसबोले ने कहा कि कांग्रेस के आरोपों पर संघ को कुछ नहीं कहना है. पर दस साल तक रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाने वालों को इस तरह की बातें करने का नैतिक अधिकार नहीं है.

सरकार के कामकाज से किसी प्रकार की नारागी या असंतोष की बात पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कोई नारागी नहीं है. अभी 14 माह हुए हैं. दिशा ठीक है, लगन ठीक है, उपलब्धि और प्रतिबद्धता अच्छी है. इसी दिशा में आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि देश में उम्मीदें जग गयीं हैं. भरोसा बहाल हुआ है. देश एवं विदेशों में लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा है.

बैठक के सा समाप्त होने के बाद श्री भागवत का समापन उद्बोधन के पहले प्रधानमंी पहुँचे. मीडिया की आँख नाक कान से दूर इस मौके पर श्री मोदी ने भी अपने विचार लोगों के समक्ष रखे.

 



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