भगवान श्यामसुन्दर की नगरी में दो दिन मनायी जाएगी जन्माष्टमी

Last Updated 04 Sep 2015 08:40:38 PM IST

सोलह कलाओं के अवतार भगवान श्यामसुन्दर की नगरी में उन्हीं का जन्मदिन इस बार दो अलग-अलग दिन पर मनाया जाएगा.


भगवान श्यामसुन्दर की नगरी में जन्माष्टमी

श्रीकृष्ण जन्मस्थान द्वारकाधीश मंदिर तथा वृन्दावन के केवल तीन मंदिरों में जन्माष्टमी पांच सितंबर को मनायी जाएगी.

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा के अनुसार तीर्थयात्रियों में प्रसाद वितरण की पूरी व्यवस्था कर ली गई है. केशव गौड़ीय मठ के कृष्ण भक्तों ने शुक्रवार से ही जन्माष्टमी मनाना शुरू कर दिया है तथा उनके भक्तों द्वारा डोले के साथ शोभाया निकाली गई.    

भक्त नृत्य करते हुए संकीर्तन के साथ शहर के मुख्य मार्गों पर चल रहे हैं. मार्ग में प्रसाद का वितरण किया जा रहा है.

वृन्दावन का कृष्ण बलराम मंदिर अंग्रेज मंदिर के नाम से मशहूर है, इस मंदिर की जन्माष्टमी इसलिए निराली होती है कि विदेशी कृष्ण भक्त देश विदेश के फूल मंगाकर मंदिर की ऐसी अनुपम सजावट करते हैं कि भक्त की इच्छा मंदिर से बाहर निकलने की नही होती.

मंदिर के जन संपर्क अधिकारी विनोद बिहारी के अनुसार मंदिर में जन्माष्टमी पांच सितंबर को ही मनाई जाएगी तथा 24 घंटे हरिनाम संकीर्तन चलेगा.     

उन्होंने बताया कि सभी विदेशी कृष्णभक्त जन्माष्टमी पर निर्जल व्रत रहते हैं तथा रात 10 बजे से अभिषेक शुरू होता है. अभिषेक का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही विदेशी कृष्ण भक्त फलाहार आदि ग्रहण करते हैं.

वृन्दावन के ही शाह जीमंदिर में पांच सितंबर को दिन में जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इसी प्रकार वृन्दावन के प्रेम मंदिर में भी शनिवार को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी जबकि वृन्दावन के सप्त देवालयों तक में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी छह सितंबर को मनाई जाएगी.

सप्त देवालयों में प्राचीन राधारमण मंदिर एवं राधा दामोदर मंदिरों में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी छह सितम्बर को दिन में मनाई जाएगी और भक्तों में चरणामृत का वितरण दिन में ही होगा. इसी तरह नन्दगांव के नन्दबाबा मंदिर में जन्माष्टमी छह सितंबर को ही मनाई जाएगी.

वृन्दावन के रंग जी मंदिर में जन्माष्टमी छह सितंबर को मनाई जाएगी तथा इस मंदिर का मशहूर लट्ठे का मेला सात सितंबर को होगा. लट्ठे के मेले में लगभग 50 फुट ऊंचे लट्ठे पर मचान बनाया जाता है जिस पर स्टील के बर्तन रखे होते हैं.

इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले मल्ल को मचान तक पहुंचना होता है जबकि मचान के ऊपर से लट्ठे पर तेल और पानी का मिश्रण लगातार डाला जाता है. गोकुल में जन्माष्टमी नन्दोत्सव यानी दधिकाना के रूप में मनाई जाती है.

समाजसेवी नारायण तिवारी के अनुसार वहां पर दधिकाना की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है. मंदिरों को नई नवेली दुल्हन की तरह सजाया गया है और नन्दोत्सव का कार्यक्रम सुबह होते ही शुरू हो जाएगा.

यहां पर नन्दोत्सव में मंदिरों में दर्शन करनेवाले को हल्दी, पानी और दही के मिश्रण से पूरी तरह से गीला करने का प्रयास किया जाता है साथ ही मंदिरों में लड्डू और पकवान वितरित किये जाते हैं.

मथुरा, वृन्दावन, गोकुल, नन्दगांव में अलग अलग तरीके से अलग अलग दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है वहीं गोवर्धन में जन्माष्टमी पर भी गिरि गोवर्धन की सप्तकोसी परिक्रमा ही की जाती है.

शुक्रवार  से ही भक्तों का हुजूम गोवर्धन में जुट गया है तथा छटा तेरी तीन लोक से न्यारी है, गोवर्धन महराज जैसे गीतों के साथ भक्त इस प्रकार परिक्रमा कर रहे हैं जैसे वहां पर कृष्ण भक्ति की गंगा प्रवाहित हो रही है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान के सभी मंदिर जन्माष्टमी पर पूरे दिन खुले रहेंगे.


 

 



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