बात से बन सकती है 'बात' : मोदी

Last Updated 04 Sep 2015 05:11:26 AM IST

दुनिया के एक बड़े भूभाग को हिंसक शासनेत्तर तत्वों के अपने नियंत्रण में लेकर बर्बर हिंसा में संलग्न होने पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सभी समस्याओं का समाधान बातचीत के जरिए ही निकाला जा सकता है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक हिन्दू-बौद्ध पहल पर आयोजित संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'असहिष्णु शासनेत्तर तत्व (नॉन स्टेट एक्टर) अब बड़े भूभाग को अपने नियंत्रण में लिए हैं. वे निर्दोष लोगों पर बर्बर हिंसा कर रहे हैं. संघर्ष का समाधान करने वाले हमारे तंत्र की सीमाएं हैं और यह अधिक से अधिक स्पष्ट हो रही हैं. इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि दुनिया बौद्ध धर्म पर संज्ञान ले रही है.'

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो विचारधाराएं बातचीत के द्वार को बंद करती है, वहां हिंसा की तरफ झुकाव होता है. संघर्ष टालने और पर्यावरण सजगता पर वैश्विक हिन्दू-बौद्ध पहल पर आयोजित संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, 'हिन्दू और बौद्ध धर्म इस मायने में दर्शन से भरपूर है और केवल आस्था की व्यवस्था भर नहीं है. मेरा दृढ़ मत है कि बातचीत से सभी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है.'

उन्होंने कहा कि दुनिया को संघर्ष से बचने के लिए बातचीत के रास्ते बंद करने की विचारधारा की बजाय दर्शन की तरफ मुड़ना चाहिए. तीन दिवसीय इस सम्मेलन का आयोजन विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय फाउंडेशन ने किया है. इसके अंतिम दिन यानी पांच सितम्बर को इसका समापन बोधगया में होगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि विचारधारा अक्षुण्ण सत्य पर विश्वास करती है. इसलिए ऐसी विचारधारा जिनके द्वार बंद हो, वहां हिंसा की तरफ झुकाव रहता है जबकि संघर्ष को टालने वाला दर्शन बातचीत का रास्ता अपनाता है. उन्होंने कहा कि इस अर्थ में हिन्दू और बौद्ध धर्म दर्शन से ओतप्रोत हैं और केवल आस्था आधारित व्यवस्था नहीं है. मोदी ने हिन्दू दर्शन के परस्पर विरोधी आख्यानों पर आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच हुए शास्त्रार्थ का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा समझा जाता था कि ताकत सत्ता को दर्शाती है, लेकिन अब माना जाता है कि ताकत विचारों की शक्ति और प्रभावी वार्ता के जरिये आनी चाहिए जहां आक्रोश या प्रतिशोध का कोई स्थान नहीं है.

सम्मेलन में जापान, श्रीलंका, मंगोलिया और कंबोडिया समेत कई बौद्ध धर्म के अनुयायिओं की बहुलता वाले देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. मोदी ने इन देशों के पर्यटकों के लिए भारत के एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में वकालत की.



प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरी सरकार भारतभर के बौद्ध धरोहरों को महत्व प्रदान करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. एशिया में बौद्ध धरोहरों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत आगे बढ़कर पहल कर रहा है. तीन दिनों का यह सम्मेलन ऐसा ही एक प्रयास है. आप ऐसे देश में आए हैं जिसे बौद्ध धरोहर पर गर्व है. उन्होंने कहा कि मैं देखता हूं कि भगवान बुद्ध हमारा वैसा समग्र आध्यात्मिक कल्याण कर रहे हैं जिस तरह से वैश्विक कारोबार हमारा समग्र आर्थिक कल्याण कर रहा है और जैसा इंटरनेट हमारा समग्र बौद्धिक कल्याण कर रहा है.

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मुद्दा केवल जलवायु परिवर्तन का नहीं है, बल्कि 'जलवायु न्याय' का है. मोदी ने कहा कि बौद्ध धर्म के साथ कन्फ्यूशीवाद और ताओवाद जैसी आस्थाओं ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति बड़ी जिम्मेदारी निभाई.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं कहना चाहता हूं कि वर्तमान पीढ़ी की आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्ध प्राकृतिक संपदा के न्यासी के रूप में बड़ी जिम्मेदारी है. मुद्दा केवल जलवायु परिवर्तन का नहीं है, बल्कि जलवायु न्याय का है. जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में गरीब और समाज के कमजोर वर्ग के लोग हैं.'

इस अवसर पर श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंग ने कहा कि आतंकवाद लंबे समय से लंबित अनसुलझे मुद्दों की चरम परिणति है और ऐसे संघर्ष का समाधान सतत विकास के जरिये ही निकाला जा सकता है. इस दौरान जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे का वीडियो संदेश भी प्रसारित किया गया.

 



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