ओआरओपी पर बार-बार रुख बदल रही है सरकार- पूर्व सैनिक
एक रैंक एक पेंशन(ओआरओपी) की मांग को लेकर अनशन कर रहे पूर्व सैनिकों ने सरकार पर अपना रुख बार-बार बदलने का आरोप लगाया है
सरकार बार-बार रुख बदल रही है |
पूर्व सैनिकों के संयुक्त संगठन के प्रवक्ता सेवानिवृत्त कर्नल अनिल कौल ने जंतर मंतर स्थित धरना स्थल पर कहा कि सरकार ओआरओपी पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है और वह अलग -अलग मध्यस्थ के जरिये अलग -अलग बात कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार खुद ही उलझन में है और इस मुद्दे को भी उलझा रही है. ऐसे में समस्या का समाधान कैसे हो सकता है.
उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिक नियमित अंतराल पर पेंशन की समीक्षा की मांग कर रहे हैं और वह चाहते हैं कि किसी भी समय किसी वरिष्ठ सैनिक की पेंशन उससे कनिष्ठ सैनिक से कम नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ओआरओपी लागू करने से सरकार पर पड़ने वाले बोझ के बारे में जानबूझकर गलत आंकड़े बताये जा रहे हैं जिससे लोगों में भ्रम पैदा हो.
पूर्व सैनिक हर वर्ष पेंशन की समीक्षा की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार का कहना है कि वह हर पांच साल में पेंशन की समीक्षा करने को तैयार है. पूर्व सैनिकों का कहना है कि यदि पेंशन की समीक्षा पांच साल में की जाती है तो यह ओआरओपी की परिभाषा के अनुरूप नहीं होगी.
इस बीच, पूर्व सैनिकों की सरकार के मध्यस्थों के साथ निरंतर बात चल रही है और यदि पेंशन की समीक्षा अवधि के मुद्दे पर दोनों में सहमति बनती है तो इसकी घोषणा एक -दो दिन में होने वाली बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले हो सकती है.
सूत्रें के अनुसार सरकार ने पेंशन निर्धारित करने के लिए वर्ष 2013 को बेस ईयर मानने, नयी पेंशन को एक अप्रैल 2014 से लागू करने और हर पांच वर्ष में पेंशन की समीक्षा करने की पेशकश की है. पूर्व सैनिकों का कहना है कि पहले वह एक वर्ष से दो वर्ष पर आये और अब वह तीन वर्ष की बात भी स्वीकार कर सकते हैं
लेकिन पांच वर्ष की मांग कैसे मानी जा सकती है.
दस पूर्व सैनिक पिछले लगभग 20 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं जबकि तीन की तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.इसके अलावा लगभग 30 पूर्व सैनिक 80 दिन से क्रमिक अनशन कर रहे हैं.
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