अशक्त व्यक्तियों के लिये आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र की सराहना करते हुए अवमानना याचिका का किया निबटारा
सुप्रीम कोर्ट ने अशक्त व्यक्तियों के लिये आरक्षित रिक्त स्थानों पर नियुक्तियों के मामले में केन्द्र के कदम सराहना करते हुये उसके खिलाफ दायर अवमानना याचिका का निबटारा कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार की सराहना की. |
अवमानना याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार ने अशक्त व्यक्तियों के लिये तीन फीसदी स्थान आरक्षित करने के आदेश की ‘अवज्ञा’ की है.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ ने मंगलवार को कहा, ‘‘हमने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार किया. सालिसीटर जनरल द्वारा पेश संग्रह के मद्देनजर ऐसा प्रतीत होता है कि इन पदों पर भर्ती के लिये सरकार स्पष्ट रूप से प्रतिबद्ध है.’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम यह नहीं कह सकते कि इस न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा की गयी है.’’ न्यायालय ने कहा कि अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी और सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार के अनुसार 15 हजार से अधिक रिक्त स्थानों पर नियुक्तियां करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है और यह अगले साल फरवरी तक पूरी हो जायेगी.
न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन राष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की याचिका पर यह आदेश दिया. इस संगठन ने अशक्त व्यक्तियों के लिये नौकरियों में तीन फीसदी आरक्षण प्रदान करने के न्यायिक आदेश पर अमल नहीं करने के कारण कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और इसके सचिव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया था.
पीठ ने इस याचिका का निबटारा करते हुये कहा कि 15 हजार से अधिक पदों पर भर्तियां करना बड़ी प्रक्रिया है और इसके लिये सरकार प्रतिबद्ध है. न्यायालय ने सरकार की इस कवायद को सकारात्मक कदम करार दिया. हालांकि, न्यायालय ने पदोन्नति के मामलों में भी अशक्त व्यक्तियों के लिये तीन फीसदी आरक्षण से संबंधित मुद्दे पर गौर नहीं किया.
न्यायालय ने यह दलील अस्वीकार कर दी कि बंबई उच्च न्यायालय ने कहा था कि पदोन्नति के मामले में भी आरक्षण दिया जाना चाहिए और शीर्ष अदालत द्वारा सरकार की अपील और पुनर्विचार याचिका खारिज किये जाने के कारण इस निर्णय ने अंतिम रूप ग्रहण कर लिया.
न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका सिर्फ खारिज की गयी थी. याचिका खारिज किये जाने की किसी वजह के अभाव में हम कोई अटकल नहीं लगा सकते.
इस मामले की सुनवाई के दौरान सालिसीटर जनरल ने कहा कि पदोन्नति के मामले में आरक्षण की इजाजत नहीं है और यह लाभ सिर्फ नयी नियुक्तियों में ही दिया जाना है.
शीर्ष अदालत ने गैर सरकारी संगठन की नये सिरे से अवमानना कार्रवाई के लिये दायर याचिका पर 12 जनवरी को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से अशक्त व्यक्तियों के लिये नौकरी में तीन फीसदी स्थान आरक्षित करने संबंधी पहले के आदेश पर जवाब मांगा था.
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