मथुरा के राधा-रानी मंदिर पर रोप-वे को हरी झंडी

Last Updated 27 Aug 2015 11:20:51 PM IST

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने मथुरा के राधा-रानी मंदिर में भक्तों के आवागमन के लिए रोप-वे (केबल ट्राली) के निर्माण को हरी झंडी दे दी है.


मथुरा का राधा-रानी मंदिर (फाइल फोटो)

वन एवं वन्यजीव पर गठित सुप्रीम कोर्ट की समिति ने जनहित में ताज ट्रैपिजियम जोन (टीटीजेड) से 102 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी है. मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण की अर्जी पर सेंट्रल एम्पवारड्र समिति (सीईसी) ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है.

सीईसी ने कहा कि परियोजना जनहित में है. वृक्षों को काटे बिना परियोजना को मूर्तरूप देना संभव नहीं है. सीईसी ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वन क्षेत्र में 25 तथा गैर वन एरिया में 77 पेड़ों को काटने की इजाजत दी जाए, ताकि रोप-वे का निर्माण शुरू किया जा सके.

राधा के जन्म स्थान बरसाना में राधा-रानी मंदिर चारों तरफ पहाड़ियों से घिरा है. होली पर यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन जाता है. देश और दुनिया के पर्यटक हर साल मार्च में यहां आते हैं.

सीईसी ने कहा है कि रोप-वे का निर्माण कड़ी शर्तों के साथ किया जाए. काटे गए पेड़ों के बदले दस गुना पौधे लगाए जाएं. बचे पेड़ों की गणना का काम विकास प्राधिकरण करेगा.

विकास प्राधिकरण का कहना है कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मंदिर में रोप-वे का निर्माण जरूरी है. पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत रोप-वे का निर्माण किया जाएगा. रोप-वे की लंबाई 216 मीटर होगी. इसके लिए 1.26 हैक्टेयर भूमि की जरूरत पड़ेगी.

कुल आठ केबिन बनाए जाएंगे. प्रत्येक केबिन में चार यात्री ले जाए जा सकते हैं. 400 यात्री प्रति घंटा की क्षमता वाला रोप-वे 2019 तक बनकर तैयार हो जाएगा.
रोप-वे बनने से बरसाने के विश्व प्रसिद्ध राधा-रानी मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 300 सीढ़ियां चढ़ने की कसरत नहीं करनी होगी. संकरी और पतली गलियों से होकर मंदिर तक पहुंचने के बजाए श्रद्धालु उड़नखटोले का सहारा ले सकेंगे.

लठमार होली के लिए विख्यात बरसाने के राधा-रानी मंदिर के दर्शन के लिए बुजुर्गों को खासी परेशानी होती है. पर्यटकों को भी यहां तांता लगा रहता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए रोप-वे (रज्जुमार्ग) तैयार किया जा रहा है. रस्सियों में ट्राली फिट कर दी जाएगी जिसमें खड़े होकर दर्शनार्थी सीधे मंदिर तक पहुंच जाएंगे.



मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण को रोप-वे के निर्माण का जिम्मा दिया गया है. इसके लिए कई एकड़ जमीन एक्वायर कर ली गई है. लेकिन, स्थानीय प्रशासन के सामने एक परेशानी खड़ी हो गई थी. 102 पेड़ बीच में आ गए हैं. ताज जोन (टीटीजेड) में आने के कारण सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना वृक्ष नहीं गिराए जा सकते.

सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में विकास प्राधिकरण ने कहा कि राधा-रानी मंदिर का रास्ता बहुत दुर्गम है. इस मंदिर को लाडलीजी मंदिर भी कहा जाता है. हालांकि मंदिर तक कार से जाने का रास्ता भी है, लेकिन गली इतनी संकरी है कि कई बार रास्ता जाम हो जाता है. गली चौड़ी करना मुमकिन नहीं है. गली के दोनों तरफ दीवारें हैं. दीवारों के साथ गहरे कुएं हैं. कुओं में कार गिरने की गई घटनाएं हो चुकी हैं.

लठमार होली देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक यहां आते हैं. मंदिर 300 फुट की ऊंचाई पर है. बरसाने के लोग अरसे से रोप-वे की मांग कर रहे हैं. देहरादून की एक कंपनी को 50 लाख रुपये में रोप-वे के निर्माण का ठेका दिया गया है. विकास प्राधिकरण ने कहा कि रोपवे बिजली से चलेगा. इसलिए इससे किसी तरह का प्रदूषण नहीं होगा.

विकास प्राधिकरण ने कहा है कि एक्वायर की गई जमीन का मुआवजा 49 लाख 95 हजार रुपये है जिसे जिला कोषागार में जमा कर दिया गया है.

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने परियोजना की मंजूरी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के पेड़ काटने की अनुमति के साथ ही काम शुरू हो जाएगा.

 

 



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