सरकार ने अश्लील सामग्री नहीं परोसने वाली वेबसाइटों पर प्रतिबंध हटाया
वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर आलोचना झेल रही सरकार ने अपने आदेश की समीक्षा की और उन साइटों पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय किया जो अश्लील सामग्री नहीं परोसती.
वेबसाइटों पर प्रतिबंध (फाइल फोटो) |
इससे पहले, दूरसंचार विभाग ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से 857 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. हालांकि बाद में पाया गया कि इसमें से कुछ वेबसाइट चुटकुले और अन्य हास्य सामग्री परोस रही हैं और उसमें अश्लीलता जैसा कुछ नहीं है.
सरकार के निर्देश के बाद से सोशल मीडिया तथा अन्य मंचों पर बहस छिड़ गयी और सरकार पर इंटरनेट सेंसरशिप का आरोप लगाया गया.
पूर्व के आदेश से हुए नुकसान की भरपाई के इरादे से दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की जिसमें आईटी सचिव आर एस शर्मा तथा अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पिंकी आनंद समेत अन्य लोग शरीक हुए.
प्रसाद ने कहा कि बैठक में यह निर्णय किया गया है कि आईएसपी से तत्काल उन वेबसाइसाइटों पर प्रतिबंध नहीं लगाने को कहा जाएगा जो अश्लील सामग्री नहीं परोसती.
पूर्व के निर्देश के पीछे कारणों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर तत्काल कदम उठाये गये. अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने उन कथित अश्लील सामग्री परोसने वाली वेबसाइटों की सूची पर कार्रवाई करने को कहा था जिसे याचिकाकर्ता ने उपलब्ध कराया था.’’
रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार सोशल मीडिया पर विचारों के प्रसार की सराहना करती है. हमने माईगाव प्लेटफार्म शुरू किया है जिसमें विकास एजेंडे के बारे में लोगों से राय मांगी गयी है और लाखों लोग इसमें भाग ले रहे हैं.’’
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि प्रतिबंध तबतक के लिये अस्थायी उपाय है जबतक शीर्ष अदालत मामले में अंतिम आदेश नहीं दे देती.
सरकार के कदम को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रि या के बारे में प्रसाद ने कल कहा था कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार सोशल मीडिया तथा इंटरनेट की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है.
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