25 कांग्रेस सदस्यों के निलंबन के खिलाफ सोनिया गांधी और राहुल का धरना

Last Updated 04 Aug 2015 09:52:01 AM IST

सरकार और विपक्ष के रिश्तों में दरार सोमवार को और बढ़ गयी जब लोकसभा में कांग्रेस के 44 में से 25 सदस्यों को अभद्र व्यवहार के लिए पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद कांग्रेस और नौ अन्य दलों ने विरोध में बहिष्कार करने की घोषणा की.


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (फाइल फोटो)

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा की गयी कार्रवाई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकतंत्र के लिए काला दिवस करार दिया. कांग्रेस ने चेतावनी दी कि इस घटनाक्रम की गूंज मंगलवार को राज्यसभा में सुनाई देगी, जहां पहले से ही कार्यवाही बाधित चल रही है.

सोनिया और राहुल गांधी समेत कांग्रेस के बाकी लोकसभा सदस्य निलंबन के खिलाफ मंगलवार को सदन का बहिष्कार करेंगे. पार्टी सांसद संसद भवन परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने धरना देंगे.

मौजूदा लोकसभा में कांग्रेस सांसदों पर इस तरह की यह पहली अनुशासनात्मक कार्रवाई है. कार्रवाई ऐसे समय में की गयी है जब ललित मोदी और व्यापमं घोटाले के मुद्दों पर कांग्रेस सदस्यों के प्रदर्शन के चलते मानसून सत्र का अब तक का समय बेकार चला गया है.

भाजपा और केंद्रीय मंत्रियों ने लोकसभा अध्यक्ष की कार्रवाई का पुरजोर बचाव किया, वहीं संकेत हैं कि सरकार व्यवस्था बहाल करने के प्रयास में लोकसभा अध्यक्ष से उनके निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध कर सकती है और कार्रवाई में नरमी की दिशा में प्रयास कर सकती है.

संसद से पहली बार सदस्यों को एक साथ निलंबित नहीं किया गया है. मार्च 1989 में सदन में विरोध प्रदर्शन के बाद विपक्ष के 58 सदस्यों को निलंबित किया गया था.

पिछले तीन साल में कम से कम तीन मौकों पर इस तरह सदस्यों को निलंबित करने की कार्रवाई हो चुकी है और एक बार में 16 तक सदस्यों को सदन से निलंबित किया जा चुका है.

लोकसभा अध्यक्ष ने सदस्यों को नारेबाजी करके और पोस्टर दिखाकर जानबूझकर और लगातार सदन की कार्यवाही बाधित करने का दोषी ठहराते हुए उनके निलंबन का फैसला लिया.

सरकार की ओर से बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक के बाद यह कार्रवाई की गयी. सर्वदलीय बैठक गतिरोध को समाप्त करने में नाकाम रही.

सुमित्रा महाजन ने अनेक चेतावनियों के बाद कार्रवाई के लिए 25 कांग्रेस सदस्यों के नाम लिये जो ललित मोदी विवाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के और व्यापमं घोटाले को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफों की मांग को लेकर आसन के पास आ गये थे.

अध्यक्ष ने तत्काल बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी. हालांकि कांग्रेस के सदस्य सदन में ही धरना देकर बैठ गये.

नाराज सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी कुछ समय तक सदन से नहीं गये और उन्हें कुछ अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से बात करते हुए देखा गया.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार विपक्षी सदस्यों को निलंबित करके गुजरात मॉडल अपना रही है और एकपक्षीय तरीके से सदन चलाना चाहती है.
कम से कम नौ विपक्षी दलों ने भी निलंबित सदस्यों के साथ पांच दिन तक लोकसभा का बहिष्कार करने का फैसला किया है जिसमें तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, आरएसपी, मुस्लिम लीग, राजद, जदयू और आप शामिल हैं.

लोकसभा अध्यक्ष ने बाद में कहा कि उन्होंने केवल सदन के सुगम संचालन के लिए यह फैसला लिया है.

सत्तारूढ़ भाजपा ने स्पीकर के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि वह ऐसा करने के लिए विवश थीं क्योंकि उनकी बार-बार चेतावनियों को नजर अंदाज किया गया और सदन चलाना संभव नहीं था.

लोकसभा अध्यक्ष की कार्रवाई पर बहुत नाराज दिख रहीं सोनिया ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र के लिए काला दिन है.’’

जदयू के शरद यादव ने फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि इससे स्थिति और बिगड़ेगी. सुलह हो पाना और मुश्किल होगा.

सुमित्रा महाजन के फैसले का बचाव करते हुए भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप सदन का कामकाज सुचारू रूप से चलाने के लिए उचित फैसला करना लोकसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है.

उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्य आसन द्वारा बार-बार चेताये जाने के बावजूद नहीं सुन रहे थे. राजग के घटक तेदेपा ने कहा कि अध्यक्ष को बाध्य होकर ऐसा फैसला करना पड़ा क्योंकि उनके पास और कोई विकल्प नहीं था. 

कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा, ‘‘पार्टी इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के साथ भी बातचीत कर रही है.’’



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