भारत और बांग्लादेश के बीच करीब 70 साल बाद सीमा संबंधी विवाद का अंत जमीन की अदला-बदली का ऐतिहासिक समझौता रात 12 बजे से लागू हो जाएगा.
इसी समझौते के लागू होने के साथ भारत की 111 कॉलोनियां बांग्लादेश की हो जाएंगी और और बांग्लादेश की 51 कॉलोनियां भारत की हो जाएंगी.
भारत में जिन राज्यों की कॉलोनियों की अदला-बदली होगी, वह हैं असम, मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल. एक अनुमान के मुताबिक, इस फैसले की जद में आने वाली भारतीय कॉलोनियों में करीब 37 हजार लोग रहते हैं.
वहीं बांग्लादेशी कॉलोनियां में 14 हजार लोग रहते हैं. यानी देश के इन नए 14 हजार नागरिकों को नए पिन कोड का तोहफा आज मिलेगा.
भारत की कॉलोनियों में रहने वाले करीब 37 हजार लोगों में से 980 लोग ही भारत लौट रहे हैं और ये सभी बेहद गरीब तबके हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली बांग्लादेश की यात्रा के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच ये समझौता जून में हुआ था.
इस दौरे की खास बात यह भी थी कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी प्रधानमंत्री के साथ बांग्लादेश गई थीं जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बांग्लादेश दौरे के वक्त उन्होंने जाने से इनकार कर दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते की तुलना बर्लिन की दीवार गिरने वाली घटना से करते हुए कहा था कि अगर इस तरह का समझौता दुनिया में कहीं और हुआ होता तो इसे नोबेल सम्मान मिलता, लेकिन हम गरीब देश हैं इसलिए कोई नहीं पूछेगा.
बांग्लादेश और भारत 1974 के एलबीए करार को लागू करेंगे और सितंबर, 2011 के प्रोटोकॉल को अगले 11 महीने में चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगे. एक अनुमान के मुताबिक बांग्लादेश में भारतीय एन्क्लेवों में करीब 37,000 लोग रह रहे हैं, वहीं भारत में बांग्लादेशी एन्क्लेवों में 14,000 लोग रहते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली बांग्लादेश की यात्रा के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच ये समझौता जून में हुआ था. इस दौरे की खास बात यह भी थी कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी प्रधानमंत्री के साथ बांग्लादेश गई थीं जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बांग्लादेश दौरे के वक्त उन्होंने जाने से इनकार कर दिया था.
भारत और बांग्लादेश के बीच ज़मीन की अदला-बदली का पहला समझौता 16 मई 1974 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के तत्कालीन प्रधानमंत्री के बीच हुआ था.
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