राजकीय सम्मान के साथ डॉ. कलाम सुपुर्द-ए-खाक, अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

Last Updated 30 Jul 2015 10:39:17 AM IST

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का गुरुवार को उनके गृहनगर रामेश्वरम में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.

  • 12:13 : प्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी और पी चिदंबरम ने दी श्रद्धांजलि
  • 11:46 : कलाम का पार्थिव शरीर सुपुर्द-ए-खाक
  • 11:46 : राजकीय सम्मान के साथ डॉ कलाम का अंतिम संस्कार
  • 11:33 : राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित.
  • 11:33 : पूर्व राष्ट्रपति का अंतिम संस्कार जारी रहने के कारण लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई.
  • 11:21 : केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू भी अंतिम संस्कार में पहुंचे हैं.
  • 11:08 : पूर्व राष्ट्रपति का सोमवार को शिलांग में एक व्याख्यान देने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
  • 11:06 : डॉ कलाम का जन्म रामेश्वरम में हुआ था और उनका बचपन इसी द्वीप पर बीता.
  • 11:05 : इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार वाली जगह ले जाया जा रहा है और जहां पर उनके लिए दुआ की जाएगी.
  • 11:04 : पारंपरिक हरे रंग की शॉल में लिपटे ताबूत में रखे डॉ कलाम के पार्थिव शरीर को तीनों सेवाओं के जवान सुबह साढ़े नौ बजे उनके पैतृक आवास से मस्जिद ले गये.
  • 11:03 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और कई अन्य पदाधिकारी डॉ कलाम के अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद हैं.
  • 11:02 : यहां ‘जनता के राष्ट्रपति’ को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक हजारों की संख्या में लोग रामेश्वरम शहर में पहुंचे हुए हैं.
  • 11:02 : उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक आवास से स्थानीय मस्जिद ले जाया जा चुका है
  • 11:01 : पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम अपने अंतिम सफर पर रवाना हो रहे हैं.

कलाम को आखिरी सलाम

राष्ट्र ने अपने ‘अनमोन रत्न’ कलाम को भावनात्मक अंतिम विदाई दी जहां हजारों की संख्या में मौजूद लोग अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पा रहे थे और उनकी आंखों से आंसुओं की धार स्वत: ही उनके दुख को बयां कर रही थी.

पूर्व राष्ट्रपति को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके गृह नगर रामेश्वरम में ‘सुपूर्द ए खाक़’ किया गया और इस दौरान वहां उपस्थित लोग लगातार ‘भारत माता की जय’ का उद्घोष करते रहे.

कलाम के पार्थिव शरीर को रामेश्वरम में पेईकारूंबू में करीब 1.5 एकड़ में फैले जमीन के टुकड़े के मध्य में दफनाया गया. इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को मस्जिद में लाया गया जहां ‘नमाज़ ए जनाज़ा’ पढ़ी गई.

‘जनता के राष्ट्रपति’ को पूरा सैन्य सम्मान प्रदान किया गया जिसमें बंदूक से गोलियां चलाकर सलामी देना शामिल है.

पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के सदस्यों और स्थानीय जमात ने जैसे ही उनके पार्थिव शरीर को कब्र में रखा, चारों ओर ‘भारत माता की जय’ का घोष गूंज उठा.

‘मिसाइल मैन’ के रूप में विख्यात डॉ कलाम के अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत विभिन्न दलों के नेता शामिल हुए. तिरंगे में लिपटे डॉ कलाम के पार्थिव शरीर के समक्ष प्रधानमंत्री ने पुष्पांजलि अर्पित की और कुछ देर मौन खडे रहकर उन्हें अंतिम सलाम किया. उन्होंने हाथ जोड़कर ताबूत के चारों और चक्कर लगाया.

प्रधानमंत्री इसके बाद में कलाम के बड़े भाई 99 वर्षीय मोहम्मद मिरन लेब्बई माराइकर के पास गए और संवेदना प्रकट की.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी डॉ कलाम को अंदिम विदाई दी.

पूर्व राष्ट्रपति का निधन 27 जुलाई को आईआईएम शिलांग में व्याख्यान देते समय दिल का दौरा पड़ने से हुआ.

पूर्व राष्ट्रपति को अंतिम विदाई देने वालों में तमिलनाडु के राज्यपाल के रोसैया, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी एम वेंकैया नायडू और तमिलनाडु के वित्त मंत्री ओ पनीरसेल्वम समेत अन्य नेता शामिल हैं.

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी डॉ कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित की.

सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने भी अपने पूर्व सुप्रीम कमांडर के प्रति सम्मान प्रकट किया और उन्हें अंतिम विदाई दी.

इससे पहले 83 वर्षीय वैज्ञानिक का पार्थिव शरीर यहां आने पर उन्हें आखिरी विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े. अधिकतर लोगों की आंखें नम थीं.

अपनी सादगी और सदाशयता के लिए विख्यात डॉ कलाम के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए देश विदेश से काफी संख्या में लोगों ने शोक प्रकट किया.

पूर्व राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों की उपस्थिति को देखते हुए नौसेना, तटरक्षक और मरीन पुलिस कर्मियों को नगर के आसपास समुद्री क्षेत्र में तैनात किया गया.

काफी संख्या में शोकाकुल लोग अंतिम संस्कार के स्थल के आसपास घरों की छतों और पेड़ पर चढ़कर अपने दिवंगत नेता की एक झलक देखने को आतुर थे. डॉ कलाम में अपनी स्कूली शिक्षा यहीं से पूरी की थी.

नगर निगम अधिकारियों ने अंतिम संस्कार वाले स्थल तक आवागमन और वीआईपी आवाजाही के लिए विशेष सम्पर्क सड़क का निर्माण किया.

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता स्वास्थ्य कारणों से अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सकीं.

मोदी विशेष हेलीकाप्टर से मंडपम आए और वहां से कड़ी सुरक्षा में बुलेटप्रूफ कार में रामेश्वरम पहुंचे.

इससे पहले, अंतिम संस्कार के तहत इमाम ने ‘नमाज़ ए जनाज़ा’ पढ़ायी.

तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व पनीरसेल्वम समेत अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने किया. तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की है.

डॉ कलाम को भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया गया. वाजपेयी सरकार के समय 1998 में किए गए पोखरन परमाणु परीक्षण में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी.

पूर्व राष्ट्रपति को अंतिम विदाई देने पंजाब, पश्चिम बंगाल समेत देश के विभिन्न स्थानों से लोग आए थे जिससे सहज ही उनकी लोकप्रियता का अंदाज लगाया जा सकता है.

लोग अपने हाथों में तिरंगा और पूर्व राष्ट्रपति के चित्र लिये हुए उनकी अंतिम यात्रा में शरीक हुए. लोग बसों, ट्रेनों, नौकाओं एवं विभिन्न सवारियों से यहां आए थे और यहां तक कि काफी लोगों ने गुरुवार को पूर्व राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए रात सड़कों पर गुजारी.

तमिलनाडु में डॉ कलाम के सम्मान में कारोबारी संस्थान और होटल बंद रहे.

मृदुभाषी कलाम का जीवन कठिन परिश्रम और समर्पण का जीता जागता उदाहरण है जिन्होंने वैज्ञानिक खोजों के लिए पूरा जीवन खपा दिया. इसरो के दिनों में प्रक्षेपण वाहन प्रौद्योगिकी का विषय रहा हो, या डीआरडीओ के दिनों में मिसाइल प्रौद्योगिकी का सवाल रहा हो.. भारत के विज्ञान एवं रक्षा कार्यक्रमों में उनका योगदान अतुलनीय रहा.

परमाणु प्रौद्योगिकी की पुरजोर वकालत करने वाले युगद्रष्टा डॉ कलाम 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण का अभिन्न हिस्सा रहे जो वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के समय में हुआ था.

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने तमिलनाडु में भारत रूस संयुक्त उद्यम के तहत विवादास्पद कुडानकूलम परमाणु ऊर्जा परियोजना का समर्थन किया. इस परियोजना का पीपुल्स मूवमेंट एगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी (पीएमएएनई: ने कड़ा विरोध किया है.

डॉ कलाम ने देश के नागरिकों, खासतौर पर युवाओं को काफी प्रेरित किया और उनसे देश के विकास की सोच रखने को कहा.

वह आसानी से युवाओं और छात्रों से तार जोड़ लेते थे और इंजीनियर, डाक्टर और वैज्ञानिक बनने की चाहत रखने वाले उन्हें एक जीवंत उदाहरण के तौर पर देखते हैं.

पूर्व राष्ट्रपति के ट्विटर और फेसबुक पर काफी संख्या में फालोअर है. कुछ लोगों ने उनके साथ अपने सौभाग्यपूर्ण क्षणों को साझा किया जबकि काफी संख्या में लोगों ने उनके प्रेरक उद्गारों को साझा करके उनको श्रद्धांजलि दी.

इस बीच मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी का नाम डॉ कलाम पर रखने या उनका स्मारक बनाने जैसी मांगे सामने आनी शुरू हो गई हैं. मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी से कलाम ने एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी.

कलाम का अंतिम संस्कार मौलवी एस एम अब्दुल रहमान ने किया. नमाज़ ए जनाज़ा के बाद डॉ कलाम को सुपुर्द-ए-खाक किया गया. उनकी कब्र पर गुलाब के फूलों की पंखुड़ियां डाली गईं.

इस दौरान कलाम के 99 वर्षीय बड़े भाई अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए जो दूर से पूर्व राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार को होता देख रहे थे. काफी उम्र होने के कारण वह कुर्सी पर बैठे हुए थे. रामकृष्ण मठ समेत कई संगठनों ने यहां आए लोगों के लिए खाने पीने की व्यवस्था की थी. राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के छात्रों ने अपने प्रिय पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में शांतिपूर्ण मार्च निकाली. उन्होंने मोमबत्ती जलाकर प्रार्थना की और पुष्पांजलि अर्पित करके मिसाइल मैन को श्रद्धांजलि दी. 



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