कलाम को दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनने देना कांग्रेस की भूल
कांग्रेस ने इस सवाल पर चुप्पी साध ली है कि क्या 2012 में स्व. अब्दुल कलाम को दोबारा राष्ट्रपति बनने के लिए समर्थन नहीं देकर पार्टी ने भूल की थी.
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम |
जब कांग्रेस की यूपीए-1 सरकार को परमाणु समझौते पर दूसरे दलों के समर्थन की दरकार थी, तब पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने समझौते का समर्थन किया था. सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने यूपीए सरकार को परमाणु समझौते पर समर्थन देने के पीछे पूर्व राष्ट्रपति की राय को महत्वपूर्ण बताया था.
सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें कई दृष्टि से महान व्यक्ति बताया है. उन्होंने यह भी कहा है कि वह महान देशभक्त-वैज्ञानिक और लाखों युवाओं के प्रेरक थे.
हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूछे जाने पर इस सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं कि क्या कांग्रेस ने अब्दुल कलाम को दोबार राष्ट्रपति नहीं बनवाकर भूल की थी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि इस वक्त यह सवाल ठीक नहीं है, इस समय पूरा देश पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त कर रहा है. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज लग सकता है कि कांग्रेस का स्व. कलाम को लेकर वो कदम ठीक नहीं था. उन्होंने कहा कि इस विषय का सिर्फ एक ही पहलू नहीं हो सकता.
उन्होंने कहा कि इतिहास में इस पर चिंतन होगा कि तब कांग्रेस की क्या राजनीतिक मजबूरियां रही थीं.
उल्लेखनीय है कि साल 2012 में सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने की बात सामने रखी. भाजपा ने भी कलाम के पक्ष में समर्थन देने की बात कही थी, पर कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं हुई.
कहा जाता है कि कांग्रेस ने यह बहाना किया था कि इससे पहले भाजपा ने उसके कहने पर पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन को दोबारा राष्ट्रपति बनने में समर्थन नहीं दिया था. हालांकि जद(यू) नेता केसी त्यागी कहते हैं कि स्व.कलाम राजनीतिक व्यक्ति नहीं थे, पर 2012 में उनके नाम पर आम सहमति नहीं बन सकी थी.
उन्होंने कहा कि पहली बार जब स्व. कलाम राष्ट्रपति बने थे तो सपा नेता मुलायम सिंह ने उनका नाम आगे बढ़ाया था और भाजपा के स्व. प्रमोद महाजन ने उनकी आरएसएस और भाजपा में स्वीकार्यता करवाई.
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