मारन का रवैया टाल-मटोल वाला, फिर से बुलाया जा सकता है: सीबीआई
पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने उच्च क्षमता वाली बीएसएनएल लाइन अपने आवासों पर लगाने को लेकर पद के कथित दुरुपयोग के मामले में सीबीआई द्वारा पूछताछ के दौरान टालने वाला रवैया अपनाया और इस वजह से उन्हें पूछताछ के लिए फिर से बुलाया जा सकता है.
पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन (फाइल) |
यह उच्च क्षमता वाली लाइन उन्होंने अपने भाई के स्वामित्व वाली एक टीवी फर्म के कार्यक्रमों के तेज गति से ट्रांसमिशन के लिए लगवाई थी.
उच्चपदस्थ सीबीआई सूत्रों ने दावा किया कि 48 वर्षीय मारन ने 22 घंटे की पूछताछ के दौरान कई बिंदुओं पर टालने वाला रवैया अपनाया. उनसे पूछताछ गत बुधवार से शुरू हुई थी और तीन दिनों तक चली.
मारन संप्रग-1 सरकार में साल 2004 से 2007 तक दूरसंचार एवं आईटी मंत्री थे.
सूत्रों ने बताया कि अन्य बिंदुओं पर उनके जवाब की जांच की जा सकती है और उनका मूल्यांकन पूरा होने के बाद पूछताछ के लिए फिर से बुलाया जा सकता है.
मारन की प्रतिक्रिया जानने के लिए उनसे संपर्क नहीं हो सका. उन्होंने न तो टेलीफोन कॉल का जवाब दिया और न ही संदेशों का जवाब दिया.
मारन ने गुरुवार को सीबीआई मुख्यालय से बाहर संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने एमटीएनएल और बीएसएनएल से आरटीआई के जरिए हासिल किए गए दस्तावेज सौंपे. मारन ने दावा किया था कि उन्होंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण से जुड़े किसी भी मानदंड या दिशा-निर्देशों का उल्लंघन नहीं किया.
सीबीआई ने एक मामला दर्ज किया था जिसमें मारन, तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम), बीएसएनएल, के ब्रह्मनाथन, चेन्नई टेलीफोन के सीजीएम एम पी वेलुसामी द्वारा कथित तौर पर आपराधिक साजिश रचकर सरकारी खजाने को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाने का आरोप है.
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में कहा था कि मारन के चेन्नई और दिल्ली में आवास पर 323 से अधिक उच्च डाटा क्षमता वाली लाइन लगाई गई लेकिन बाद की जांच में इस तरह की 770 से अधिक लाइन पाई गई.
सीबीआई ने शिकायत मिलने के चार साल बाद 2011 में अपनी जांच शुरू की. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि एक आभासी टेलीफोन एक्सचेंज मारन के आवास पर लगाया गया था ताकि उनके भाई कलानिधि के स्वामित्व वाला सन टीवी नेटवर्क अवैध इस्तेमाल कर सके.
सूत्रों ने बताया कि ये लाइन भारी मात्रा में डाटा ट्रांसमिट कर सकती हैं लेकिन इसे सेवा श्रेणी में रखा गया और 2004 और 2007 के बीच कथित तौर पर कोई बिल नहीं आया.
सीबीआई ने इससे सरकारी खजाने को 1.8 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान लगाया.
एजेंसी ने इस मामले के सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था जिसमें मारन के पूर्व अतिरिक्त निजी सचिव वी गौतमन, सन टीवी के मुख्य तकनीकी अधिकारी एस कन्नन और इलेक्ट्रिशियन एल एस रवि शामिल थे.
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