मदरसों पर न हो राजनीति:नकवी
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने केवल धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसों की मान्यता खत्म करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को लेकर मुसलमानों की आशंकाएं कहते हुए दूर करने की कोशिश की कि मदरसे भारत की हकीकत हैं और इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए.
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (फाइल फोटो) |
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार इन इस्लामिक शिक्षण केंद्रों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मुख्य धारा की शिक्षा पण्राली में शामिल करने पर विचार करेगी.
शहर की यात्रा पर आए नकवी ने कहा, ‘‘मैंने मदरसों को आासन दिया है कि सरकार सभी के लिए शिक्षा के पक्ष में है तथा मैं उन्हें आासन देना चाहता हूं कि धन की कोई दिक्कत नहीं होगी. ’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम महसूस करते हैं कि मदरसों के मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. हम इसे वोट बैंक की राजनीति के रूप में नहीं देखते . यह मुद्दा मुसलमानों के सशक्तिकरण से जुड़ा है. ’’
नकवी ने पिछली कांग्रेस नीत सरकार की शिक्षा के अधिकार कानून को लेकर आलोचना की और कहा कि यह कानून मदरसों को शैक्षणिक संस्था नहीं मानता है.
इस बात पर बल देते हुए कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ‘समग्र विकास के प्रति कटिबद्ध’ है नकवी ने कहा, ‘‘हमें नरम रूख अपनाना है. प्राथमिकता सभी को शिक्षा पर होनी चाहिए. भारतीय संविधान सभी के लिए शिक्षा की गारंटी देता है.’’
महाराष्ट्र सरकार ने कल कहा था कि जिन मदरसों में अंग्रेजी, गणित एवं विज्ञान जैसे प्राथमिक विषयों की पढ़ाई नहीं होती हैं, उन्हें गैर स्कूल समझा जाएगा और वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को स्कूल के बाहर के बच्चे माना जाएगा. राज्य सरकार के इस फैसले का व्यापक विरोध होने लगा है.
इस मुद्दे पर सरकार पर प्रहार करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार से ध्यान बंटाने के लिए विवाद खड़े किए जा रहे हैं.
संवाददाता सम्मेलन में चव्हाण ने कहा कि सरकार का फैसला केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस निर्देश के विरूद्ध है कि राष्ट्रीय स्कूली पाठ्यक्र म मदरसों और वैदिक शिक्षा विद्यालयों पर नहीं थोपा जा सकता.
उन्होंने कहा कि यदि सरकार का इरादा मदरसों का कल्याण और उत्तम शिक्षा प्रदान करना था तो सभी पक्षों के साथ परामर्श के बाद यह निर्णय लिया जाना चाहिए था.
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