अदालत जाएगा मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड
AIMPLB ने स्कूलों के पाठ्यक्रम में भगवद्गीता को शामिल किए जाने तथा सूर्य नमस्कार और योग की तालीम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है.
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (फाइल फोटो) |
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कुछ राज्य सरकारों द्वारा अपने यहां स्कूलों के पाठ्यक्रम में भगवद्गीता को शामिल किए जाने तथा सूर्य नमस्कार और योग की तालीम के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है.
बोर्ड द्वारा सोमवार को जारी एक बयान के मुताबिक संगठन की ‘नदवा’ में हुई ‘मजलिसे आमिला’ (कार्यकारिणी बैठक) में यह तय किया गया है कि स्कूलों में गीता की तालीम को पाठ्यक्रम में शामिल करने के राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश सरकारों के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जाए. इसी तरह स्कूलों में सूर्य नमस्कार और योग की तालीम के खिलाफ भी उच्चतम न्यायालय से फैसला हासिल किया जाए.
बोर्ड के प्रवक्ता अब्दुल रहीम कुरैशी ने कहा कि चूंकि इस्लाम में सिर्फ अल्लाह की इबादत का ही प्रावधान है, ऐसे में सूर्य नमस्कार, गीता पाठ और योग को लेकर मुस्लिम समाज की अपनी जायज आपत्तियां हैं.
चूंकि स्कूलों में मुस्लिम बच्चे भी पढ़ते हैं लिहाजा इन चीजों को सभी बच्चों पर थोपना ठीक नहीं है. बयान के मुताबिक बैठक में मुल्क के मौजूदा हालात का जायजा लेते हुए चिंता जताई गई कि इस वक्त फिरकापरस्त ताकतें मुल्क को धर्मनिरपेक्षता के रास्ते से हटाने पर तुली हुई नजर आती हैं.
शिक्षा को भगवा रंगत दी जा रही है. धर्म प्रचार की आजादी को कानूनी तौर पर खत्म करने की तैयारी हो रही है और मुस्लिम पर्सनल ला को जिन कानूनों के जरिए संरक्षण हासिल है उनको बेहद पुराने और अनुपयोगी करार देकर खत्म करने की साजिश सामने आ चुकी है.
इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा.
बयान के मुताबिक बोर्ड ने विधि आयोग की अक्टूबर 2014 की रिपोर्ट और पीसी जैन आयोग की रपट की सिफारिशों के खिलाफ सरकार से खासकर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और कानून मंत्री से मिलकर आपत्ति जताने का भी फैसला किया है.
यह भी तय किया गया कि प्रधानमंत्री का भी ध्यान आकृष्ट किया जाए कि उनकी सरकार उन संस्तुतियों को रद्द कर दे जिसमें मुस्लिम वक्फ कानून 1913 और 1930 के साथ मुस्लिम पर्सनल ला और मुस्लिम विवाह कानून को समाप्त करने की सिफारिश की गई है.
Tweet |