गुर्जरों को आरक्षण देने हेतु हुए समझौते पर असंतोष उभरा
राजस्थान सरकार एवं कर्नल किरोडी सिंह बैंसला के नेतृत्व में बने प्रतिनिधिमंडल के बीच 28 मई को गुर्जरों को आरक्षण देने के लिए हुए समझौते पर समाज के लोगों ने असंतोष जाहिर किया है.
गुर्जरों को आरक्षण देने हेतु हुए समझौते पर असंतोष उभरा (फाइल फोटो) |
गुर्जर समाज का मानना है कि यह समझौता वर्ष 2008 में हुए समझौते का ही प्रतिरुप है तथा इससे समाज को कोई लाभ मिलने वाला नहीं है.
अखिल भारतीय गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष रामवीर सिंह विधूडी ने पत्रकारों को बताया कि वर्ष 2008 में हुए समझौते पर मैंने हस्ताक्षर नहीं किए थे क्योंकि गुर्जरों की मूल मांग संविधान सम्वत 50 प्रतिशत आरक्षण के अन्दर ही पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाए जबकि राज्य सरकार 50 प्रतिशत से आगे विशेष पिछडा वर्ग में आरक्षण देने की बात कहती है.
उन्होंने कहा पिछले समझौते के बाद राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर विधेयक पास कर केन्द्र सरकार को भिजवाया था लेकिन हुआ कुछ नहीं और न ही गुर्जरों पर दर्ज किए गए मुकदमें वापस लिए गए है.
उन्होंने कहा कि इस बार भी राज्य सरकार द्वारा पहले वाले समझौते के अनुसार प्रस्ताव बनाकर समझौता किया है तथा विधेयक पारित कर 9वीं अनुसूची में डलवाने के लिए केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा और अधिसूचना तक जारी नहीं की जाएगी.
श्री विधूडी ने कहा कि इस समझौते में आरक्षण देने की कोई समय सीमा तय नही की गई है तथा गुर्जरों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने का भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है1 उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के शेष साढे तीन साल के शासन काल में भी गुर्जरों को कुछ लाभ मिलने वाला नहीं है.
उन्होंने श्री बैंसला को समाज का बडा योद्धा बताते हुए कहा कि पता नही उनकी क्या मजबूरी रही जिसके चलते वे अपने स्टेण्ड(मांग) से पीछे हटकर समझौता किया है.
उन्होंने घोषणा कि यदि राज्य सरकार अपने इस कार्यकाल में गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में कामयाब हो जाती है तो समाज की ओर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे तथा कर्नल बैंसला को दिल्ली के रामलीला मैदान में सोने से तोला जाएगा.
श्री विधूडी ने कहा कि समाज की महापंचायत के बाद रेल पटरियों की ओर जाने से पूर्व कर्नल बैंसला ने ऐलान किया था कि इस बार गुर्जर समाज को 50 प्रतिशत के अन्दर 5 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिला पाया तो मेरा शव ही पटरियों से उठेगा और समाज को लगा था कि उन्होंने सही मांग उठाई है तथा उसका तन मन धन से साथ दिया गया.
उन्होंने कहा कि 31 मई को देशभर के गुर्जरों की दिल्ली के जन्तर मन्तर पर महापंचायत इस आंदोलन के समर्थन में बुलाई गई थी ताकि इस आंदोलन को देशभर से समर्थन मिल सके.
श्री विधूडी ने कहा कि समाज अब राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार को 6 माह का समय देती है जिसमें विधेयक पारित कर इसे 9वीं अनुसूची में डलवाया जाए. इसके बाद गुर्जर समाज फिर आंदोलन की राह पकडेगा तथा दिल्ली के रामलीला मैदान पर महापंचायत बुलाकर दबाव बनाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में विशेष पिछडा वर्ग में चार जातियां शामिल की गई थी और अब इसमें आठ जातियां शामिल की गई है तथा विधेयक लाने तक पता नहीं कितनी जातियां ओर शामिल होगी.
उन्होंने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर बार-बार आदांलन करने से देशभर में लोगों को परेशानी होती है तथा गुर्जर समाज की छवि भी उपद्रवी समाज की बन रही है.
इसलिए समाज के सामने अब 5 प्रतिशत आरक्षण का ही सवाल नहीं रह गया है बल्कि उसके मान सम्मान का प्रश्न भी बन गया है.
उन्होंने कहा कि यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई आरक्षण की 50 फीसद की सीमा से बाहर था. परिणाम यह हुआ कि यह मामला आज तक जयपुर उच्च न्यायालय में लंबित है ओर इस बार भी वही हो रहा है तथा मामला न्यायालय में लटक जाएगा.
उन्होंने कहा कि पहले केवल चार जातियां थी जिन्हें विशेष पिछडा वर्ग की श्रेणी में रखा गया था. अब इनकी संख्या बढाकर आठ कर दी गई है1 अब गुर्जरों के अलावा बंजारा,गाडिया लुहार , राईका, रेबारी, बालदिया, लबाना तथा गाडोलिया जातियों को भी आरक्षण पाने वालों की श्रेणी में शामिल कर दिया गया है.
जबकि प्रचारित यह किया जा रहा है कि यह आरक्षण केवल गुर्जरों को दिया गया है1 यह आरक्षण भी 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर है1 ऐसे में गुर्जर समाज को इसका लाभ नहीं मिलेगा.
उन्होंने यह याद भी दिलाया कि सरकार ने नए समझौते में भी उन आंदोलनकारियों को कोई राहत नहीं दी है जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमें दर्ज कर दिए गए थे.
श्री विधूडी ने सरकार को यह चेतावनी दी कि वह छह महीने के भीतर गुर्जर समाज को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल कर पांच फीसद आरक्षण दे अन्यथा आगामी 20 दिसंबर 2015 से देश भर के गुर्जर समाज के लोग नई दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में जुटकर अपनी मांग के समर्थन जोरदार आंदोलन करेंगे.
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