हम भूमि विधेयक में किसान, गरीब के हित में बदलाव को तैयार हैं: मोदी

Last Updated 27 May 2015 09:04:29 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक में ऐसा कोई भी संशोधन स्वीकार करने को तैयार है जिससे किसान, गरीब, गांव और देश का हित होता हो.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल)

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के साथ-साथ इस विधेयक का पारित होना अब ‘‘थोड़े समय की ही बात’’ है.
   
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘गांव, गरीब, किसान... अगर सुझाव इन दबे कुचले तबकों के फायदे वाले होंगे और देश हित में होंगे, तो हम उन सुझावों को स्वीकार करेंगे.’
   
मोदी से पूछा गया था कि भूमि विधेयक पर गतिरोध को देखते हुए क्या सरकार विपक्ष के सुझावों को शामिल करेगी. भूमि और जीएसटी, दोनों विधेयकों को संसदीय समितियों के पास भेजा जा चुका है और सरकार को उम्मीद है कि इन्हें संसद के मानसून सत्र में पारित कर दिया जाएगा.
    
यह पूछे जाने पर कि जीएसटी और भूमि अधिग्रहण विधेयक में संशोधन जैसे सुधारवादी उपायों के रास्ते में राज्यसभा में आने वाली अड़चनों से क्या अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है? प्रधानमंत्री ने कहा कि ये दोनों ही देश के लिये फायदेमंद हैं.
  
उन्होंने कहा कि राजनीतिक उद्देश्यों को एक तरफ रखते हुये इन दोनों विधेयकों की मूल भावना का सभी दलों को सराहना करनी चाहिये. देश के दीर्घकालिक हितों को सर्वोपरि रखा जाना चाहिये.
  
मोदी ने कहा, ‘‘इस बात को देखते हुये कि राज्य जीएसटी की रूपरेखा पर सहमत हुये हैं, इससे हमारे संघीय ढांचे की परिपक्वता का पता चलता है और जीएसटी विधेयक को लोकसभा पारित कर चुकी है. इन विधेयकों के पारित होने में अब कुछ ही समय लगेगा.’’
   
सुधारों को यदि तेजी से आगे नहीं बढ़ाया गया तो इससे विदेशी निवेशकों को किस तरह का संदेश जायेगा? इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दिल्ली की एक यह विशेषता है कि ‘सुधार’ शब्द को केवल संसद में कानूनों के पारित किए जाने से जोड़ा जाता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में सबसे महत्वपूर्ण सुधारों की आवश्यकता तो सरकार के विभिन्न स्तरों पर, कामकाम के तरीकों और प्रक्रियाओं में सुधार की है जिसके लिए किसी नये कानूनों की जरूरत नहीं है.’’
   
मोदी ने कहा कि सरकार ने कई प्रमुख सुधारों की शुरुआत की है. इनमें डीजल मूल्य को नियंत्रण मुक्त किया जाना, घरेलू इस्तेमाल के गैस सिलेंडर की सब्सिडी सीधे ग्राहक के बैंक खाते में पहुंचाना, एफडीआई सीमा बढ़ाना, रेलवे की स्थिति में सुधार और कई अन्य कदम उठाये हैं. 
   
उन्होंने कहा, ‘‘सच्चाई यह है कि वास्तव में सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाया गया और इसके परिणामस्वरूप अप्रैल 2014 से फरवरी 2015 की अवधि में एफडीआई में सालाना आधार पर 39 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है.’’
    
भूमि अधिग्रहण विधेयक कंपनियों के हित में होने संबंधी आरोपों पर मोदी ने कहा कि वे ‘एक दूसरे पर कीचड़ उछालने की राजनीतिक’ में नहीं पड़ना चाहते.
    
उन्होंने कहा, ‘हालांकि मैं यह पूछना चाहूंगा कि जिन्होंने खनिज संपदा से संपन्न खानें व वन भूमि अपनी पंसदीदा कंपनियों को आवंटित किये, क्या उन्हें इस सरकार पर सवाल उठाने का नैतिक अधिकार है जो कि निरंतर समाज के सभी तबकों के कल्याण के लिए काम कर रही है.’
    
कांग्रेस का नाम लिए बिना मोदी ने कहा कि वे हैरान हैं कि 60 साल तक सरकार चलाने के बावजूद ऐसे सवाल पूछने वालों का प्रशासन व सरकार के बारे में ज्ञान कितना कम है.
   
मोदी ने कहा, ‘पूरा देश जानता है कि भूमि का विषय केंद्र सरकार के अधीन नहीं आता है और केंद्र को भूमि की जरूरत नहीं है. जमीन से जुड़े सारे अधिकार राज्यों के पास हैं.’
    
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘120 साल पुराने भूमि अधिग्रहण कानून को संशोधित करने से पहले पिछली सरकार ने संसद में उस पर 120 मिनट भी चर्चा नहीं की. और यह मानकर कि विधेयक किसानों के लिए अच्छा है, हमने भी उस समय उसका समर्थन किया.’’
   
उन्होंने कहा, ‘बाद में कई राज्यों से शिकायतें मिलीं. किसी को इतना भी अहंकारी नहीं होना चाहिए कि गलतियों को सुधारने से बचे. इसलिए हम गलतियों को ठीक करने के लिए विधेयक लाए, वह भी राज्यों की मांग के चलते. हमारे द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को अगर कोई राजनीतिक चश्मे के बिना देखेगा तो वह उसे पूरे के पूरे नंबर देगा.’



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